उत्तर प्रदेश के वाराणसी में इन दिनों किसानों ने नगरनिगम द्वारा अपनी जमीनों पर कब्जे के आरोप लगाया है. कहीं सुनवाई न होते देख किसानों ने अब धरना प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है. मामला डोमरी गांव के किसानन से जुड़ा है.

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उनका कहना है कि ग्राम पंचायत के बाद नगर निगम के दायरे में हमारा क्षेत्र आ चुका है, जिसके बाद नगर निगम द्वारा मनमाने तरीके से हमारे जमीन पर कब्जा किया जा रहा है. हालांकि, इस पर नगर आयुक्त ने साफ किया है कि यह नगर निगम की जमीन है और उसके तहत ही यहां पर कार्रवाई हो रही है.

किसानों की 300 बीघा जमीन का है मामला

वाराणसी के डोमरी गांव में किसान और स्थानीय लोग नाराज नजर आ रहे है. उनका कहना है कि ग्राम पंचायत से नगर निगम दायरे में आने के बाद यहां प्रशासन द्वारा मनमाने तरीके से उनके भूमि पर कब्जा किया जा रहा है. जबकि उनके पास सभी दस्तावेज, कागजात मौजूद हैं, और करीब 300 से अधिक बीघा जमीन है जिस पर कब्जा किया जा रहा है. जब हम अपने कागज को प्रशासन के समक्ष रख रहे हैं तो वह देखने के लिए तैयार नहीं है.

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2 अक्टूबर को जबरन यहां पर 3 लाख पेड़ नगर निगम और भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा लगाए जाएंगे. सरकारी योजना के अंतर्गत यहां प्लांट लगाया जाएगा. जबकि एक गरीब किसान की जमीन पर जबरन अधिग्रहण करना न्याय संगत नहीं है. हमारी इस पर सख्त आपत्ति है. इस दौरान सैकड़ो की संख्या में किसान महिलाएं और स्थानीय लोग विरोध करते हुए देखे जा रहे हैं. यह वही डोमरी गांव है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गोद लिया गया था.

वह सरकारी जमीन में दर्ज है: नगर आयुक्त

नगर आयुक्त अक्षत वर्मा से जब डोमरी गांव में किसानों के विरोध को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने स्पष्ट किया कि यह जमीन नगर निगम की है, और यह सरकारी जमीन के रूप में दर्ज है उसका चिन्हाकन भी किया जा चुका है. यहां पर 1 घंटे के अंदर 2 लाख से अधिक पेड़ लगाने का लक्ष्य तय किया गया है. वह सरकारी भूमि है, वहां कोई और पाया जा रहा है तो वह कब्ज़ा ही माना जाएगा.