संसद के विंटर सेशन के पहले ही दिन तीन कृषि कानूनों की वापसी पर संसद की मुहर लगने के बाद अब भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत का बयान सामने आया हैं. नरेश टिकैत ने अपने बयान में कहा कि बात बहुत ही नजदीक आ गई हैं. हालांकि किसान अभी वापस नहीं आएंगे. क्योंकि किसानों पर जो मुकदमें हैं, उन्हें खत्म किए जाएं इसी के साथ जो ट्रैक्टर थानों में बंद हैं उन्हे भी छोड़ा जाए. इतना ही नहीं नरेश टिकैत ने चुनाव को लेकर भी कहा कि उन्हे चुनाव से कोई मतलब नहीं हैं, क्योंकि उन्हे सिर्फ अपनी वोट पर ही अधिकार है. उन्होने कभी भी किसी को वोट के लिए बाध्य नहीं किया हैं. इस दौरान नरेश टिकैत ने कुछ मीडिया संस्थानों पर भी किसानों की छवि खराब करने का आरोप लगाया हैं.
प्रधानमंत्री ने की है अच्छी पहलकिसान नेता नरेश टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अच्छी पहल की है और रास्ता खोल दिया. उन मुकदमों को लेकर किसान वापस थोड़ा ही आएंगे. उसके लिए अलग से थोड़ा ही आंदोलन करना पड़ेगा. हम चाह रहे है कि बातचीत करे.. और किसानों को उस तरह से पेश ना किया जाए. ये किसानों की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे है. किसान इस छवि के लायक नहीं हैं. किसान बिल्कुल साफ सुथरे छवि के हैं. ये जो गलत आरोप लगा रहे हैं. रिपब्लिक भारत वाले हैं और जी हिंदुस्तान वाले हैं, ये जो मीडिया का प्रचार हैं, वो ऐसा करते है जैसे किसान दुश्मन हैं. ये सभी मुकदमे वापस होने चाहिए और जो ट्रैक्टर बंद है वो इज्जत के साथ में वापस आए.
किसान भीख नहीं मांग रहे हैंनरेश टिकैत ने कहा हम भीख नहीं मांग रहे हैं. एक साल के अंदर हमें पता चला है कि किसानों की क्या इज्जत हैं, क्योंकि जैसा हम सोचते थे उसके बिल्कुल विपरीत हैं. बातचीत तो हो जाती है और आंदोलन भी लंबा चल जाता हैं, पर हमारा मेन मकशद है कि किसानों का कितना सम्मान है इनके मन में. कहने और करने में कितना फर्क है. हाथी के दांत दिखाने के कुछ और खाने के कुछ और है. किसानों को इस तरह से दिखाया जा रहा हैं. जैसे किसानों में ही सब कमी हैं. और जो बॉर्डर पर किसान बैठे है वे बहुत बुरा काम कर रहे है. ऐसे दिखा रहे है जैसे किसान आदीवासी है.
सरकार की एक भी चाल सफल नहीं हुईकिसान नरेश टिकैत ने कहा कि हमारे दिल को कितनी ठेस पहुंची जब हमारे ऊपर 26 जनवरी का आरोप लगा. सरकार की एक भी चाल सफल नहीं हुई. हर चाल में ये विफल हो रहे हैं. चुनाव में वोट देने के सवाल पर- उसे हम इलेक्शन से नहीं जोड़ रहे हैँ. हम तो ये चाहते है कि सरकार को भी सम्मान मिले. अगर सरकार हमें कुछ देती है तो किसानों को आशीर्वाद तो सरकार ले लेगी, कि सरकार ने कुछ किया हैँ. ये आंदोलन बहुत लंबा हो गया है दुनिया में इतना लंबे टाइम का आंदोलन कोई नहीं हुआ. हमने सरकार से कोई गुठने नहीं टिकवाए हैं और हम सरकार से गुठने नहीं टिकवाना चाहते है. दोनों की बराबर बात रहनी चाहिए. सरकार को इस आंदोलन से सबक लेना चाहिए. जो एक रूकावट सरकार के सामने थी. मुझे केवल अपनी वोट का अधिकार है. हमने कभी किसी को वोट के लिए बाध्य नहीं किया है. सभी लोग वोट देने के लिए आजाद हैँ.
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