कानपुर: पितृपक्ष (Pitru Paksh 2021) में पितरों का श्राद्ध (Shradh 2021) करने की परंपरा है. ऐसे में अब देश ही नहीं यूरोप के लोग भारत पहुंच रहे हैं. कानपुर में यूरोप के देश चेक रिपब्लिक से 10 विदेशियों का दल (Group of Europeans) सनिगवां पहुंचा है. सनिगवां स्थित करौली धाम में सनातन धर्म का विधि विधान का पालन करते हुए यह सभी अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए अनुष्ठान कर रहे हैं. 10 सदस्यीय दल 15 दिन यहां रहकर हवन पूजन और धार्मिक अनुष्ठान कर रहा है और गुरु दीक्षा भी ले रहा है.

करौली धाम में विदेशी कर रहे हैं हवन पूजन

इन सभी ने वैदिक संस्कृति में रचे बसे करौली धाम के संपर्क में आकर यह स्वीकार किया है कि मृत्यु के बाद किसी न किसी रूप में पित्र या पूर्वज विद्यमान रहते हैं.  और यह सभी अपने ही वंश के सदस्यों को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रभावित या फिर दुष्प्रभावित करते रहते हैं. इसीलिए चेक रिपब्लिक के यह मूल निवासी कानपुर के सनिगवां स्थित करौली धाम में हवन पूजन और अनुष्ठान विधि विधान से कर रहे हैं. करौली धाम के गुरु संतोष के साथ यह सभी वैदिक दर्शन पर चर्चा भी करते हैं. चेक गणराज्य के प्लाम्पलोव शहर के डिप्टी मेयर रहे जीरी कोचन्द्रल अपनी पत्नी वेरा कोचन्दरल के साथ यहां आए हैं, जो खासे प्रभावित भी हैं. 

यहां ज्ञान प्राप्त करने आए हैं

जीरी का कहना है कि, यह सब देखना और इसकी अनुभूति करना इनके दल के लिए अकल्पनीय जैसा है. ये सभी हवन के बाद आनंद से भर जाते हैं. चेक रिपब्लिक के नागरिक पीटर की माने तो वह सभी यहां ज्ञान प्राप्त करने के लिए ही आए हैं, वैदिक संस्कृति में होने वाले संस्कारों को देखकर वह खुद को खुशकिस्मत भी मानते हैं. इनको साथ लाए राजीव सिन्हा की माने तो यहां सभी राज्यों से लोग आते जाते हैं, विदेशियों का भी एक जत्था यहां आया है और सुख और शांति की अनुभूति कर रहा है.

अभी तक यही कहा जाता है कि, विदेशियों की परंपरा में अपने पूर्वजों की मुक्ति का अनुष्ठान नहीं किया जाता क्योंकि पाश्चात्य संस्कृति में पुनर्जन्म की मान्यता को लेकर काफी मतभेद हैं, लेकिन वैदिक संस्कृति में रम चुके ये लोग पितरों के श्राद्ध की पूजा अर्चना के बाद अब सुख की अनुभूति कर रहे हैं.

दल के सदस्य-

जीरी कोचन्द्रल, वेरा कोचांदल, पावेल, मार्टिना, फ़्रेंटिसिक, जरोस्लाव, यान, आंद्रे, पीटर, वाकलाव हैं. 

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