रायबरेली, । नशा अगर शराब में होता तो नाचती बोतल इस गाने को झूठा साबित करते हुए एक नशेड़ी अपनी मोटरसाइकिल समेत सीधे नाले में जा गिरा। राहगीरों व पुलिसकर्मियों की मदद से उसे बाहर तो निकाल लिया गया लेकिन वह अपने पैरों पर चलने लायक भी नहीं दिख रहा था। नशेड़ी पुलिसकर्मियों से अपने घर वालों तक का नाम नहीं बता पा रहा था। लॉक डाउन में पहले दिन ही नशेड़ियों का नशा चरम पर दिखाई दिया। रायबरेली के जेल रोड स्थित एक नाले में नशे में धुत सफाई कर्मी अपनी बाइक समेत जा गिरा जिसके बाद वहां लोगों का जमावड़ा लग गया।


लॉक डाउन में पहले दिन शासन द्वारा शराब की दुकानें खोली गईं वह भी कठिन शर्तों के साथ। सुबह 10:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक शराब की दुकानें खुलेंगी तो लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग व लॉक डाउन के नियम का पालन करते हुए। कोई भी शराब की दुकान पर या किसी पब्लिक प्लेस पर शराब का सेवन करता नहीं मिलेगा, ऐसी ढेर सारी कवायदों के साथ शराब की दुकानें खोली गईं, लेकिन उन नशेड़ियों को कौन समझाए कि नशा घर पर करके सरकार का सहयोग करें न की उनकी मंशा पर पानी फेरे।


नशे में धुत सफाईकर्मी का चलना हो रहा था मुश्किल


मोहनलालगंज में सफाई कर्मचारी के पद पर तैनात शिव शंकर यादव नशे में इतना धुत था कि वह अपनी मोटरसाइकिल समेत नाले में जा गिरा। जेल रोड स्थित एक नाले की तरफ उस समय लोग भागे जब शिव शंकर शराब के नशे में उसी नाले में जा गिरा। किसी तरह लोगों ने पहले उसे बाहर निकाला फिर उसकी मोटरसाइकिल को। उसकी मोटरसाइकिल पर आने जाने का सरकारी पास भी लगा दिखा। इंदिरा नगर चौकी के पुलिसकर्मी लक्ष्मी कांत सूचना पर मौके पर पहुंचे और उससे पूछताछ करनी शुरू कर दी लेकिन शिव शंकर नशे में इतना धुत था कि वह अपने परिजनों का मोबाइल नंबर तक नहीं बता पा रहा था।


नशेड़ियों को कौन संभाले


शराब की दुकानें तो खोल दी गई हैं लेकिन इन नशेड़ियों को कौन संभालेगा, इनकी जिम्मेदारी कौन उठाएगा, क्या यह संभव नहीं है कि लड़ाई झगड़ा शराब खरीदते वक्त ना हो ,उसके लिए क्या पुख्ता इंतजाम किए गए हैं ? ऐसे ढेर सारे सवाल प्रशासन के लिए उठ रहे हैं। फिलहाल शराब की दुकानें खोली गईं और पहले ही दिन शराबियों ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है, अब देखना यह है कि पुलिस प्रशासन किस तरह के इंतजाम इन शराबियों के लिए करती है।