नई दिल्ली: उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने से तबाही के बाद लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है. इस बीच केंद्रीय एजेंसी डिफेंस रिसर्च डेवलेपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) की एक विशेषज्ञ टीम कल तबाही वाली जगह पर पहुंचेगी और पूरी स्थिति का जायजा लेगी. ये टीम बर्फीले तूफान से जुड़ी रिसर्च में एक्सपर्ट मानी जाती है. बता दें कि, यहां ग्लेशियर फटने से 10 लोगों की मौत हो गई है, वहीं, सैकड़ों लोग लापता हैं.


कई लोग लापता हैं


वहीं, चमोली में आए तूफान के बाद फंसे लोगों को निकालने का अभियान चलाया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक, ऋषिगंगा रैणी गांव के दो भाग हैं. एक ऋषि गंगा के दाएं भाग में और एक बाएं भाग में है. एक सड़क पर है और एक सड़क से ऊपर है. वहीं, पर ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट था जो 13 मेगावाट से थोड़ा ज्यादा का प्रोजेक्ट था. 2020 में ही कमीशंड हुआ था. करीब 35 लोग काम करते थे. यहां चार पुलिसवालों की ड्यूटी थी, जिनमें दो ने छुट्टी ली थी. दो पुलिसवाले लापता हैं. यहां काम करने वाले 29-30 के करीब जो ऋषि गंगा प्रोजेक्ट में काम करते थे, वे सभी मीसिंग हैं.


176 लोग ड्यूटी पर निकले थे


उसी से लगभग 5 किलोमीटर डाउन स्ट्रीम में तपोवन में एनटीपीसी का निर्माणाधीन प्रोजेक्ट था और इसमें काफी संख्या में मजदूर काम कर रहे थे. मोटी मोटी जानकारी के मुताबिक, 176 मजदूर अपनी ड्यूटी के लिए निकले थे. वहां, पर दो टनल हैं, एक टनल में 15 लोग थे और दूसरी टनल में अनुमान है कि 30-35 लोग संभावित हैं. जब ये एवलांच आया तब 35-40 लोग वापस आ गए, उन्हें रेस्क्यू कर लिया गया. एक मामूली रूप से घायल है, लेकिन कोई खतरे की बात नहीं है.


मुख्यमंत्री के मुताबिक, एरियल सर्वे किया गया है. रोड से रैणी गांव तक गए, साइट पर जाकर जायजा लिया है. रैणी गांव के पास मोटरेबल पुल और चार अन्य छोटे पुल (झूला पुल) क्षतिग्रस्त होने से ऋषि गंगा का दाहिना हिस्सा है और धौली गंगा का जो एरिया है, इनका संपर्क टूट गया है. वहां 17 गांव हैं, इनमें से 7 गांव सर्दी के समय माइग्रेट कर जाते हैं, गोपेश्वर और चमोली के आसपास. 11 गांव के लोग वहां पर हैं. उन्हें किसी तरह की आवश्यक चीजों की कमी न हो उसके लिए आर्मी और वायुसेना के हेलीकॉप्टर पहुंच चुके हैं. राज्य सरकार की तरफ से हेलीकॉप्टर भी तैनात हैं.

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