Doctors Protest in Lucknow: सरकार की तबादला नीति के विरोध में प्रदेश के सरकारी डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ, टेक्नीशियन समेत अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने मोर्चा खोल दिया है. स्वास्थ्य कर्मियों ने आज से अपना आंशिक कार्य बहिष्कार शुरू किया. हालांकि, ये आंशिक कार्य बहिष्कार भी मरीजों को भारी पड़ रहा है. स्वास्थ्य कर्मियों ने प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सुबह 8 से 10 बजे तक इमरजेंसी को छोड़ अन्य सभी सेवाएं ठप रखी. इस दौरान दूर दराज से आये मरीज पर्चा बनवाने के बाद परेशान होते रहे.


तबादला नीति का विरोध


हाल ही में शासन ने तबादला नीति जारी की है. इसमे लोगों का अनिवार्य तबादला भी शामिल है. प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के महामंत्री डॉ. अमित सिंह ने बताया कि उनको तो तबादले के क्राइटेरिया तक नहीं मालूम, बस इतना कहा गया कि मेरिट के आधार पर होंगे. लेकिन ये नहीं पता कि मेरिट कैसे बन रही है. डॉ. अमित सिंह और फार्मसिस्ट एसोसिएशन के सुनील यादव ने कहा कि, कोरोना की तीसरी संभावित लहार को देखते हुए अस्पतालों में तैयारी चल रही, पीकू वार्ड तैयार हो रहे हैं. अधिकतर जगह टीमें बन चुकी हैं. इस वक्त तबादले करने से व्यवस्था बिगड़ जाएगी. दूसरा कोई डॉक्टर या अन्य स्वास्थ्यकर्मी जब दूसरी जगह जाएगा तो किराए पर जगह ढूंढनी होगी, जबकि कोरोना के चलते अधिकतर लोग डॉक्टर्स या अन्य स्वस्थ्य कर्मियों को किराए पर मकान नहीं देते. डॉ. अमित ने कहा कि, मरीजों को समस्या न हो इसीलिए इमरजेंसी को प्रभावित नहीं किया और सुबह सिर्फ 2 घंटे कार्य बहिष्कार रखा है. 10 जुलाई को भी कार्य बहिष्कार जारी रहेगा. 12 जुलाई को स्वास्थ्य भवन का घेराव करेंगे.


मरीज हो रहे परेशान


भले ही ये कार्य बहिष्कार आंशिक हो लेकिन मरीजों को काफी भारी पड़ रहा है. सिविल अस्पताल में ही सुबह 7 बजे से मरीजों और तीमारदारों का आना शुरू हो गया. पर्चा बनवाकर लोग लाइन में लगे. आम दिनों में यहां 8 बजे से ओपीडी शुरू होती है, लेकिन आज 10 बजे तक मरीज नहीं देखे गए. कई लोग तो अपने साथ छोटे बच्चों को भी लेकर आये थे. मरीजों ने कहा कि, सरकार को इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए जिससे पहले से ही परेशान मरीज और परेशान न हो.


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