बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की सनातन एकता पदयात्रा का आज 10वां और आखिरी दिन था , पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने संतों के साथ दंडवत होकर ब्रज की धरा को प्रणाम किया, सभी संतों ने ब्रज रज को अपने मथे पर लगाया और एक-दूसरे को गले लगाकर बधाई दी.
यह क्षण इतना भावुक था कि बागेश्वर महाराज की आंखों से खुशी के आंसू निकल आए , पदयात्रा में साथ चल रहे बद्रीनाथ वाले महाराज बालक योगेश्वर दास और अयोध्या हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास भी भावुक दिखाई दिए. पदयात्रा के वृंदावन पहुंचने पर भक्तों ने स्वागत करते हुए 'जय श्री राधे-जय श्री कृष्ण' के जयकारे लगाए.
धीरेंद्र शास्त्री के साथ सड़क पर बैठकर खाई सब्जी-पूड़ी
इससे पहले पदयात्रा में मध्य प्रदेश के CM मोहन यादव भी शामिल हुए, उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री के साथ सड़क पर बैठकर सब्जी-पूड़ी खाई. यात्रा में 5 किमी तक भीड़ ही भीड़ नजर आई , इस दौरान लोगों ने बुलडोजर से फूल बरसाए.
धीरेंद्र शास्त्री यात्रा में भीड़ देखकर भावुक हो गए , उन्होंने कहा, ''कोई बिहार तो कोई महाराष्ट्र से घर छोड़कर आया है. एक बालक की मां वेंटिलेटर पर है, लेकिन फिर भी वह आया, इस बात ने मेरे हृदय को क्षीण-क्षीण कर दिया , कभी सोचा नहीं था कि हनुमान जी ऐसी यात्रा करवा देंगे , यह देश बाबर का नहीं, रघुवर का है.
मथुरा में 55 किलोमीटर लंबी यात्रा आज हुई पूरी
इससे पहले सनातन सभा हो रही है , 15 एकड़ के ग्राउंड में पदयात्रियों के बैठने की व्यवस्था की गई है , एक बड़ा सा मंच लगाया है , सभा में श्री जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी महाराज, देवकीनंदन जी सहित ब्रज के सभी साधु-संत मौजूद रहे.
जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा, ''प्रत्येक हिन्दू को थोड़ी-थोड़ी संस्कृत जरूर आनी चाहिए , मैं चित्रकूट में 26 मार्च से ऑनलाइन संस्कृत पढ़ाऊंगा , प्रत्येक हिन्दू कन्या अब झांसी की रानी बनेगी. अब आज से ही दिल्ली से कश्मीर यात्रा की तैयारी शुरू कर दीजिए.''
जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा, ''हम चाहते हैं समान नागरिक संहिता लाई जाए. इनके यहां भेड़ों की तरह 25-25 बच्चे पैदा हो जाएं , उन्होंने कहा- सारे हिन्दुओं को जागरूक होना होगा, हम परावर्तन सिद्धांत अपनाएंगे, जो भी हिन्दू बनना चाहेगा उसे हिंदू बनाएंगे और उनकी सुरक्षा करेंगे.''
ब्रजवासियों को किया दंडवत प्रणाम
10 दिन की पदयात्रा पूरी होने पर धीरेंद्र शास्त्री काफी प्रसन्न और भावुक हैं, उन्होंने मंच से ब्रजवासियों को दंडवत प्रणाम किया, भावुक हो उठे और कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर और इंद्रेश महाराज को गले लगाया, देवकीनंदन ठाकुर ने कहा, इनकी शादी नहीं हुई है, लेकिन शादी के चर्चे खूब हैं.
अनिरुद्धाचार्य महाराज ने कहा, ''अगर हम आपस में लड़ेंगे तो हमें कौन बचाएगा, हमारी लड़ाई का फायदा अंग्रेजों ने उठाया है. हम सब आपस में मिलजुलकर रहें.ल , हम बिखरे रहेंगे तो उंगली की तरह हैं और अगर मुठ्ठी बांधकर रहेंगे तो कोई कुछ नहीं कर पाएगा, ब्राह्मण कितने भाई हैं , 4 भाई हैं ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र हम सब एक पिता के ही संतान हैं.''
आचार्य रामचंद्र दास बोले, ''अयोध्या बदली, काशी बदली, अब मथुरा की बारी है, जगद्गुरु रामभद्राचार्य के शिष्य आचार्य रामचंद्र दास ने कहा कि हमने बदली अयोध्या, बदली काशी, अब मथुरा की बारी है, राम खड़े हैं धनुष लिए, अब बंशी बजने वाली है.