उत्तर प्रदेश में स्पेशल टास्क पोर्स ने नशीले कफ सिरप के मामले में आरोपी अमित सिंह टाटा को गिरफ्तार किया है. वहीं एक अन्य आरोपी शुभम जायसवाल की तलाश जारी है. उसके लिए लुकआउट नोटिस जारी हो चुका है. दावा है कि यह नेक्सस इतना बड़ा था कि झारखंड से यूपी तक इसका मकड़जाल फैला हुआ था.
इस मामले में कई बड़े चेहरों और सफेदपोशों के भी शामिल होने के दावा किया जा रहा है कि हालांकि पुलिस और एसटीएफ की ओर से अभी तक ऐसी कोई जानकारी साझा नहीं की गई है. इस बीच जौनपुर के पूर्व सांसद और भारतीय जनता पार्टी के नेता धनंजय सिंह ने एक खुली चिट्ठी लिखी है.
आइए आपको पूरा मामला समझाते हैं कि कैसे इस नेक्सस और इसके गंदे कारनामों का भंडाफोड़ हुआ...!
27 नवंबर को एक एसटीएफ ने बताया कि फेन्सेडिल कफ सिरप व कोडीन युक्त अन्य दवाओं को नशे के रूप में प्रयोग करने हेतु इनका अवैध भंडारण एवं व्यापार करने के मामले में एक अभियुक्त को गिरफ्तार किया है. अभियुक्त की पहचान अमित सिंह टाटा के तौर पर हुई. टाटा यूपी के ही जौनपुर का निवासी है. एसटीएफ की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार टाटा की गिरफ्तारी यूपी की राजधानी लखनऊ स्थित गोमतीनगर से हुई.
एक प्रेस विज्ञप्ति में एसटीएफ ने बताया- एसटीएफ उत्तर प्रदेश को फेन्सेडिल कफ सिरप व कोडीन युक्त अन्य दवाओं को नशे के रूप में प्रयोग करने हेतु इनका अवैध भंडारण एवं व्यापार करने तथा उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, बिहार, झारखण्ड, असम, पश्चिम बंगाल व बांग्लादेश भेजे जाने की सूचना प्राप्त हो रही थी, जिसकी रोकथाम हेतु उत्तर प्रदेश शासन के पत्र संख्या-201 पी/छः-पु-3-2024 दिनांकः 12 फरवरी 2024 द्वारा स्पेशल टास्क फोर्स तथा खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रसाधन विभाग उप्र की संयुक्त जांच समिति का गठन किया गया था. जांच के दौरान भारी मात्रा में अवैध फेन्सेडिल कफ सिरप को बरामद कर थाना सुशान्त गोल्फ सिटी, कमिश्नरेट लखनऊ में मुअसं-182/2024 धारा 420/467/468/471/34/120बी/201 भादवि पंजीकृत कराया गया था.
गिरफ्तारी टाटा की, शुभम की एंट्री कैसे?
एसटीएफ ने इस मामले में गिरफ्तार अमित सिंह टाटा को किया. फिर इसमें शुभम की भी एंट्री हुई. एसटीएफ के अनुसार टाटा ने पूछताछ के दौरान शुभम का नाम लिया. एसटीएफ ने अपनी विज्ञप्ति में बताया कि- उपरोक्त अभियुक्त से विस्तृत पूछताछ में बताया कि ग्राम नरवे आजमगढ़ का रहने वाले विकास सिंह के माध्यम से मेरा परिचय शुभम जायसवाल से हुआ था.
टाटा के मुताबिक विकास सिंह ने बताया था कि शुभम जायसवाल का एबॉट कंपनी की फेन्सेडिल कफ सिरप का शैली ट्रेडर्स के नाम से बड़ा कारोबार रांची, झारखंड में है. कोडीन युक्त फेन्सेडिल कफ सिरप नशे के रूप में प्रयोग होता है, जिसकी काफी डिमांड पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में है. इसकी तस्करी में बहुत फायदा है. अगर उसके धंधे में कुछ पैसे लगाओगे तो काफी आमदनी होगी, इस पर मैं लालच में आकर तैयार हो गया. हम दोनों ने विकास सिंह के माध्यम से शुभम जायसवाल व उसके अन्य पार्टनरों के साथ बातचीत की और उन लोगों ने धनबाद में मेरा देवकृपा मेडिकल एजेंसी के नाम से जनवरी 2024 में फर्म बनवा दी.
एसटीएफ के अनुसार टाटा ने दावा किया कि फर्म का सारा लेनदेन शुभम जायसवाल व उसके पार्टनर तथा उसका सीए देखता था. धनबाद के बिजनेस में मैंने 5 लाख रूपये लगाया. मुझको इन लोगों ने लगभग 20-22 लाख रुपए दिए. मैं धनबाद 2-3 बार ही गया हूं. इसके बाद इन लोगों के कहने पर मेरे नाम से बनारस में भी ड्रग लाइसेंस लेकर फर्म खुलवाई. मेरे नाम से श्री मेडिकल के नाम से फर्म खुलवाई. इसका भी सारा लेन-देन शुभम जायसवाल व उसके साथी देखते थे. बनारस की फर्म में दो-तीन महीने ही फेन्सेडिल का व्यापार होना बताया.
टाटा ने एसटीएफ को और क्या बताया?
टाटा ने दावा किया कि उसके बाद एबॉट कंपनी द्वारा फेन्सेडिल कफ सिरप बनाना बंद हो गई. बनारस की फर्म में भी लगभग 8 लाख रुपए का लाभ अलग-अलग समय पर शुभम ने दिया था. सारे रुपये नकद मिलते थे जिन्हें मैं अपनी पत्नी साक्षी सिंह के बैंक अकाउंट में डाल देता था. शुभम जायसवाल एवं उसके पार्टनरों के एबॉट कंपनी के अधिकारियों से मिलकर 100 करोड से अधिक का कफ सीरप खरीदा था.
टाटा ने एसटीएफ को बताया - जिसमें ज्यादातर सिरप फर्जी खरीद-बिक्री बिल, ई-वे बिल बनाकर तस्करी कर बेच दिया गया है. रांची, गाजियाबाद में पुलिस एवं एसटीएफ टीम द्वारा इसके गैंग के सौरभ त्यागी, विभोर राणा आदि को गिरफ्तार कर लेने के कारण शुभम जायसवाल अपने परिवार एवं पार्टनर वरुण सिंह, गौरव जायसवाल के साथ दुबई भाग गया है. शुभम जायसवाल फेसटाइम ऍप के माध्यम से बात करता हैं. शुभम जायसवाल व उसके पार्टनर द्वारा हम लोगों के अलावा अन्य काफी लोगों के नाम से भी इसी प्रकार फर्जी फर्म बनवाकर फेन्सेडिल कफ सीरप के कूटरचित बिल और ई-वे बिल तैयार कर फर्जी खरीद बिक्री दिखाकर उसको तस्करों के हाथ बेचकर भारी मुनाफा कमाते हैं इसमें एबॉट कंपनी के अधिकारी भी संलिप्त हैं.
सियासत के पर्दे से साजिश को ढकने की कोशिश?
दावा किया जा रहा है कि टाटा ने जिस शुभम का नाम लिया है वह अपनी इस साजिश को ढकने के लिए सियासत का सहारा लेने की फिराक में था. सूत्रों की मानें तो वह उत्तर प्रदेश के विधानमंडल में विधान परिषद् का सदस्य बनने के लिए पूरी कोशिश कर रहा था. इसके लिए वह कथित तौर पर किसी बड़े नेता के संपर्क में था.
दावा है कि शुभम, पूर्वांचल के कुछ कथित बाहुबालियों को साधने के लिए तमाम जतन कर रहा था. कहीं किसी को गाड़ी गिफ्ट करने की योजना बनी तो किसी को अलग तरीके से पाले में लाने के लिए प्लानिंग की जा रही थी.
टाटा की भी सियासी कशिश!
शुभम ही नहीं बल्कि अमित सिंह टाटा भी सियासत में आने को लालायित था. आरोपी के फेसबुक पर एक फोटो शेयर की गई है जिस पर लिखा गया है- लक्ष्य 2026 रामपुर ब्लॉक. यानी वह वर्ष 2026 में प्रस्तावित पंचायत चुनावों में अपनी किस्मत आजमाने वाला था.
धनंजय सिंह की सफाई में क्या?
इन सबके बीच जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने सफाई दी है. उन्होंने सोशल मीडिया साइट फेसबुक पर लिखा कि नमस्ते प्रिय साथियों. मुझे पता है कि कफ़ सिरफ़ के मुद्दे पर मेरे कुछ राजनैतिक विरोधियों ने पत्रकार बंधुओं को गुमराह कर के मेरे बारे में भ्रामक्ता फैलाने का कृत्य किया है. इस सम्बन्ध में मैं आपको अवगत कराना चाहता हूं कि प्रकरण काशी/वाराणसी से जुड़ा होने के कारण कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं के द्वारा झूठे आरोप लगाकर प्रधानमंत्री के छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है.
उन्होंने लिखा कि इस प्रकरण की जांच राज्य सरकार द्वारा गहनता से विभिन्न एजेंसियों के द्वारा कराई जा रही है जिससे प्रकरण की सत्यता सबके सामने आ जायेगी. चूँकि यह मामला अंतर्राजीय है अतः माननीय प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से अनुरोध है कि इस मामले की व्यापक जांच सीबीआई से कराई जाये जिससे दोषियों के विरुद्ध सख़्त कार्यवाही सुनिश्चित हो और अनर्गल आरोपों और झूठी ख़बरों पर विराम लग सके.
पीएम और सीएम का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा कि आप सभी को मैं यह भी बताना चाहता हूं कि इस सम्बन्ध में मैं प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिख रहा हूं जिससे भ्रामक खबर चलवाने तथा राज्य सरकार की छवि धूमिल करने वालों का चेहरा उजागर हो सके.
अखिलेश ने बीजेपी पर उठाए सवाल
इस मामले में जौनपुर से लेकर लखनऊ तक सियासी गलियारों में चर्चा है. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी माफियाजीवी पार्टी है. भाजपा में एनकाउंटर माफिया, भाजपा में कफ सिरप माफिया, भाजपा में नीट माफिया, भाजपा में स्क्रैप माफिया, भाजपा में थाना के लिए वसूली माफिया है.
अब सवाल उठ रहे हैं कि यूपी एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपी अमित सिंह टाटा ने शुभम जायसवाल का जिक्र किया. इसके बाद बाहुबलियों से इन दोनों के कनेक्शन के दावे और फिर पूर्व सांसद धनंजय सिंह की सफाई भरी चिट्ठी आई....क्या इन तीनों का वास्तव में कुछ कनेक्शन है या सब महज इत्तफाक.
इस पूरे मामले का सच क्या है यह तो जांच एजेंसियों की जांच और आगे की कार्रवाईयों के बाद सामने आएगा लेकिन इतना तो तय है कि इस पूरे घटनाक्रम ने बीजेपी को संकट में डाल दिया है. इसके साथ ही साथ ही इस मामले ने राज्य की सियासत को भी गर्म कर दिया है.