'मुद्दे नहीं बचे, इसलिए मदरसे-मस्जिदों में कैमरे की मांग...', इसहाक गोरा का अरुण गोविल पर हमला
UP News: BJP MP अरुण गोविल की मस्जिदों व मदरसों में CCTV लगाने की मांग पर देवबंदी क्लेरिक कारी इसहाक गोरा ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कह कि सुरक्षा के नाम पर सिर्फ मुस्लिम स्थलों को निशाना बनाना गलत.

बीजेपी सांसद अरुण गोविल द्वारा मस्जिदों और मदरसों में CCTV लगाने की मांग पर देवबंदी क्लेरिक कारी इसहाक गोरा ने कड़ा सवाल उठाया है. यह बयान मेरठ में आया जहां गोविल ने सुरक्षा के आधार पर कैमरे लगाने की बात कही थी. मामला इसलिए अहम है क्योंकि इसे धार्मिक स्थलों पर भेदभाव वाले नजरिये से भी देखा जा रहा है.
वहीं कारी इसहाक गोरा ने इस मांग को पूरी तरह भटकाने वाला करार दे दिया है. उन्होंने कहा कि अरुण गोविल किसी भी तरह की मांग कर सकते हैं, लेकिन इसका जवाब पहले यह दिया जाए कि कैमरे सिर्फ मस्जिदों और मदरसों में ही क्यों लगाए जाएं. उन्होंने कहा कि अगर सुरक्षा ही मुद्दा है तो फिर मंदिरों में भी कैमरे लगाए जाने चाहिए. गोरा ने तंज करते हुए कहा कि गोविल के मन में मुस्लिम समाज को लेकर कुछ खल रहा है तो वह साफ तौर पर अपनी मंशा बताएं.
मुद्दे खत्म हो गए हैं, इसलिए कैमरे का मुद्दा उठाया- इसहाक गोरा
देवबंदी क्लेरिक ने आरोप लगाया कि अरुण गोविल के पास अब कोई ठोस मुद्दा नहीं बचा है, इसलिए वह बिना वजह ऐसे बयान दे रहे हैं. पीटीआई को दिए बयान में उन्होंने कहा कि अगर सांसद को मुद्दों की कमी है तो हम उन्हें विकास से जुड़े मुद्दे याद दिला सकते हैं. उन्होंने रोजगार संकट, सड़कों की खराब हालत और शिक्षा व्यवस्था जैसे गंभीर मामलों को असली मुद्दा बताया.
VIDEO | On BJP MP Arun Govil's recent demand to install cameras, Deobandi cleric Qari Ishaq Gora says, "He does not have any other issues to raise, that is why he demanded CCTVs in mosques and madrasas; we can remind him of developmental issues that require attention."
— Press Trust of India (@PTI_News) December 7, 2025
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सिर्फ सुरक्षा का सवाल- अरुण गोविल
गौरतलब है कि मेरठ के सांसद और अभिनेता से नेता बने अरुण गोविल ने हाल ही में कहा था कि जब मक्का और मदीना में CCTV कैमरे लगाए जा सकते हैं तो भारत की मस्जिदों और मदरसों में क्यों नहीं लगाए जा सकते. उन्होंने दावा किया कि यह केवल सुरक्षा से जुड़ा सवाल है और इसमें किसी तरह का भेदभाव शामिल नहीं है. हालांकि, क्लेरिक के सवालों और आरोपों के बाद मामला राजनीतिक बहस का विषय बन गया है.
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Source: IOCL























