देहरादून में 11 नवंबर 2024 की रात हुए भीषण सड़क हादसे को आज (मंगलवार) एक साल पूरा हो गया, लेकिन पीड़ित परिवारों का दर्द अब भी जस का तस है. उस रात करीब 1:19 बजे ओएनजीसी चौक पर एक तेज रफ्तार कार खटारा कंटेनर के पिछले हिस्से से टकराई थी. हादसा इतना भयावह था कि कार में सवार सात दोस्तों में से छह की मौके पर ही मौत हो गई थी. केवल सिद्धेश अग्रवाल किसी तरह जिंदा बच पाया था.

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कार सवार सभी दोस्त गुनीत, कुणाल कुकरेजा, ऋषभ जैन, नव्या गोयल, अतुल अग्रवाल, कामाक्षी और सिद्धेश राजपुर रोड से निकले थे और शहर में घूमते हुए जब बल्लूपुर की ओर लौटे, तो उनकी कार अनियंत्रित होकर कंटेनर से जा भिड़ी. टक्कर के बाद कार करीब 150 मीटर तक घिसटती रही और एक पेड़ से टकरा कर पलट गई. हादसे के बाद का दृश्य इतना दर्दनाक था कि सड़क के चारों ओर शवों के चीथड़े बिखरे पड़े थे.

पुलिस ने 12 दिन की पड़ताल के बाद कंटेनर चालक रामकुमार को गिरफ्तार किया था, लेकिन एक साल बीत जाने के बावजूद इस मामले में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल नहीं हो सकी है. पहले सिद्धेश अग्रवाल की हालत खराब होने के कारण पुलिस उनके बयान दर्ज नहीं कर पाई थी, जिससे जांच रुकी रही. मौजूदा एसएचओ कैंट कमल कुमार लुंठी का कहना है कि अब चार्जशीट जल्द दाखिल की जाएगी.

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इस हादसे में जान गंवाने वाली कामाक्षी के पिता अधिवक्ता तुषार सिंघल ने भी न्याय की लड़ाई शुरू की है. उन्होंने सवाल उठाया है कि आखिर ऐसा खटारा कंटेनर सड़कों पर चलने कैसे दिया गया. सिंघल ने न्यायालय से भी शिकायत की थी, जिसके बाद उनकी अर्जी मौजूदा मुकदमे में शामिल की गई. जांच में सामने आया कि यह कंटेनर कई बार बिना ट्रांसफर के बेचा गया और सभी स्तरों पर नियमों की अनदेखी की गई.

एक साल बाद भी यह कंटेनर सर्किट हाउस चौकी में खड़ा है. कार का टूटा हिस्सा अब भी उसके पीछे चिपका हुआ है. यह दृश्य आज भी दूनवासियों को उस काली रात की याद दिलाता है, जिसने छह युवा जिंदगियों को लील लिया.