UP News: इस्लामी तालीम के विश्व प्रसिद्ध केंद्र दारुल उलूम देवबंद ने नए शैक्षणिक सत्र के लिए दाखिले की प्रक्रिया शुरू कर दी है. देश-विदेश से हजारों छात्र यहां इस्लामी तालीम हासिल करने के लिए आते हैं. इसी के मद्देनजर संस्थान ने छात्रों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है, जिसमें स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है.

मशहूर देवबंदी उलेमा मौलाना कारी इसहाक गोरा ने इस फैसले पर बात करते हुए बताया कि इसका उद्देश्य छात्रों को किताबों से जोड़ना और उन्हें बाहरी ध्यान भटकाने वाली चीजों से बचाना है. उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि तलबा पूरी तरह से अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करें और स्मार्टफोन से मिलने वाली distraction से बचें.” उन्होंने यह भी कहा कि स्मार्टफोन के कारण छात्र पढ़ाई से दूर होते जा रहे हैं और इसी वजह से यह सख्त कदम उठाया गया है.

दारुल उलूम देवबंद प्रशासन का मानना है कि स्मार्टफोन के अधिक इस्तेमाल से छात्र शिक्षा से भटक जाते हैं और उनके समय का सही उपयोग नहीं हो पाता. इसलिए, यह फैसला इस्लामी तालीम को बेहतर बनाने और एक अनुशासित माहौल प्रदान करने के लिए लिया गया है. अब दाखिला लेने वाले छात्रों को इस नियम का सख्ती से पालन करना होगा.

तकनीक का दुरुपयोग रोकना भी है मकसद

संस्थान के वरिष्ठ उलेमा का कहना है कि टेक्नोलॉजी के फायदे तो हैं, लेकिन उसका सही इस्तेमाल जरूरी है. स्मार्टफोन के कारण छात्रों का ध्यान पढ़ाई से हटकर सोशल मीडिया और अन्य गैर-जरूरी चीजों पर चला जाता है, जिससे उनके तालीमी सफर पर नकारात्मक असर पड़ता है. इसी वजह से अब छात्रों को सिर्फ किताबों और शैक्षणिक साधनों पर निर्भर रहना होगा.

पहले भी हो चुके हैं ऐसे फैसले

दारुल उलूम देवबंद में पहले भी डिजिटल गैजेट्स और मॉडर्न टेक्नोलॉजी को लेकर सख्त नियम लागू किए गए हैं. इससे पहले भी संस्थान ने कैंपस में टीवी, इंटरनेट और अन्य मनोरंजन के साधनों पर रोक लगाई थी.

छात्रों और अभिभावकों को दी गई चेतावनी

संस्थान ने साफ कर दिया है कि अगर कोई छात्र इस नियम का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. दाखिला लेने से पहले छात्रों और उनके अभिभावकों को इस नियम की जानकारी दी जा रही है और उनसे यह सुनिश्चित करने को कहा जा रहा है कि वे स्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं करेंगे.

शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर जोर

दारुल उलूम देवबंद का कहना है कि यह कदम छात्रों की तालीम को और मजबूत करने के लिए उठाया गया है. संस्थान चाहता है कि छात्र गंभीरता से इस्लामी तालीम हासिल करें और अपने समय का सही इस्तेमाल करें. इस फैसले से छात्रों को शिक्षा के प्रति अधिक अनुशासित बनाने में मदद मिलेगी.

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