Etwah News: इटावा मगरमच्छ घड़ियाल एवं डॉल्फिन के लिए सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली चम्बल नदी में सेंचुरी विभाग के अधिकारियों ने जलीय जीवों की गिनती का काम किया शुरू मुरैना बॉर्डर से पचनद तक होगा जलीय जीवों की गिनती का काम शुरू कर दिया गया है. चंबल सेंचुरी के DFO दिवाकर श्रीवास्तव ने बताया कि जाड़ो के दिनों में मगर एवं घड़ियाल अपने शरीर का तापमान नियंत्रित करने के लिए धूप लेने पानी के बाहर आते है जिस कारण इन दिनों में इनकी गिनती करने में आसानी होती है.


फरवरी में फिर से होगी गिनती
मोटर बोट से अत्याधुनिक दूरबीन एवं कैमरों के साथ लैस सेंचुरी विभाग की टीम के साथ ही एबीपी गंगा की टीम ने चम्बल का सफर किया इस दौरान चम्बल में बड़ी संख्या में जलीय जीवो मगर, घड़ियाल, डॉल्फिन के साथ ही बड़ी संख्या में कई तरह की बर्ड्स देखने को मिली रेंजर हरिकिशोर शुक्ला ने एबीपी गंगा को बताया दिसंबर के माह के साथ ही फरवरी में एक बार दोबारा गिनती की जाएगी जिसके बाद ही पता चलेगा कि इस बार चंबल में जलीय जीवों की संख्या पिछले साल के मुकाबले कितना बढ़ा है. इस बार आई बाढ़ के चलते कही यह संख्या कम तो नही हुई है. पिछले साल सबसे ज़्यादा संख्या में यहां घड़ियाल पाए गए थे उसके बाद मगरमच्छों की संख्या थी वही डॉल्फिन की संख्या 200 के करीब थी इस वर्ष का आंकलन फरवरी तक होगा. 


ठंड के मौसम में गिनती में होती है आसानी
ठंड के दिनों में अपने तापमान को नियंत्रित करने के लिए मगरमच्छ एवं घड़ियाल धूप लेने के लिए पानी के बाहर रेत पर निकल कर आते हैं. इसी वजह से इनकी गिनती करने में आसानी होती है वही मार्च से लेकर मई तक मगर एवं घड़ियाल अंडे देते हैं एवं जून के माह में चंबल सेंचुरी इलाके में हजारों की संख्या में मगर एवं घड़ियाल के बच्चे निकलकर आते है. लेकिन वही बरसात के बाद हर वर्ष आने वाली बाढ़ से केवल 30 प्रतिशत मगरमच्छ एवं घड़ियाल के बच्चे ही जीवित बच पाते है पिछले वर्ष की गढ़ना में इटावा के चम्बल सेंचुरी इलाके में 1800 घड़ियाल, 850 मगरमच्छ एवं 150 डॉल्फिन पाई गई थी. 


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