Jim Corbett National Park News: उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क स्थित ढेला रेंज में बने रेस्क्यू सेंटर में अब देश के अन्य राज्यों के घायल और बीमार वन्यजीवों को भी जीवनदान मिल सकेगा. पार्क प्रशासन ने रेस्क्यू सेंटर की क्षमता को ढाई गुना तक बढ़ाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है. प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद बाघ और गुलदार के लिए 32 नए बाड़े बनाए जाएंगे, जिससे वन्यजीवों को बेहतर उपचार और पुनर्वास की सुविधा मिलेगी.

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क वन्यजीव संरक्षण के लिए देशभर में अपनी अलग पहचान रखता है. यहां साल 2020 में ढेला रेंज में रेस्क्यू सेंटर का निर्माण कराया गया था. सेंटर का उद्देश्य घायल, बीमार और मानव-वन्यजीव संघर्ष में फंसे वन्यजीवों को चिकित्सा सुविधा देकर उन्हें पुनः जंगल में छोड़ना है. इस सेंटर में अब तक कई बाघ, तेंदुए और अन्य वन्यजीवों का सफल इलाज किया गया है, जिन्हें मौत के मुंह से निकालकर नई जिंदगी दी गई.

पार्क प्रशासन ने 32 नए बाड़े बनाने का प्रस्ताव भेजारेस्क्यू सेंटर के बेहतर उपचार और वन्यजीवों के सफल पुनर्वास को देखते हुए अब इसकी क्षमता बढ़ाने की योजना बनाई गई है. पार्क प्रशासन ने शासन को 32 नए बाड़े बनाने का प्रस्ताव भेजा है, जिससे घायल वन्यजीवों को अधिक स्थान और बेहतर देखभाल मिल सकेगी.

कार्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) के फील्ड डायरेक्टर साकेत बडोला ने बताया कि रेस्क्यू सेंटर की मौजूदा क्षमता में सिर्फ एक बाड़ा है, जिसमें अधिकतम 10 बाघ और 10 गुलदार को ही रखा जा सकता है. लेकिन अब सीजर डे द्वारा बनाए गए नए डिजाइन को मंजूरी मिल चुकी है. नए प्रस्ताव के तहत रेस्क्यू सेंटर की क्षमता ढाई गुना तक बढ़ाई जाएगी. विस्तार के बाद यहां 16 बाघ और 16 गुलदार को एक साथ रखा जा सकेगा. इससे कॉर्बेट के अलावा देश के अन्य राज्यों से भी घायल या बीमार वन्यजीवों को लाकर यहां उपचार दिया जा सकेगा.

रेस्कयू सेंटर से देशभर के जानवरों को मिलेगा लाभरेस्क्यू सेंटर के विस्तार का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि यह केवल कॉर्बेट या उत्तराखंड तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि देशभर के अन्य राज्यों के वन्य जीवों को भी जीवनदान देगा. पार्क प्रशासन का लक्ष्य है कि आसपास के राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में मानव-वन्यजीव संघर्ष में घायल हुए वन्यजीवों को यहां लाकर उपचार दिया जाए. रेस्क्यू सेंटर में वन्यजीवों के उपचार के लिए अनुभवी पशु चिकित्सकों की टीम तैनात है. यहां बाघ, गुलदार, हाथी, भालू, हिरण, लोमड़ी आदि के लिए विशेष चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है.

रेस्क्यू सेंटर के विस्तार के बाद उत्तराखंड वन विभाग को वन्यजीव संरक्षण और पुनर्वास में बड़ी सफलता मिलने की उम्मीद है. सेंटर के विस्तार के लिए शासन को भेजे गए प्रस्ताव में 32 नए बाड़ों के निर्माण के साथ ही अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों की खरीद, वन्यजीवों की मॉनिटरिंग के लिए सीसीटीवी कैमरे और स्टाफ की संख्या में वृद्धि का भी प्रस्ताव शामिल है.

रेस्कयू सेंटर के विस्तार को लेकर लिया गया अहम फैसलारेस्क्यू सेंटर के विस्तार से कार्बेट पार्क का वन्यजीव संरक्षण मॉडल और अधिक मजबूत होगा. इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष में घायल हुए वन्यजीवों को समय पर इलाज मिल सकेगा और उन्हें वापस जंगल में छोड़कर प्राकृतिक संतुलन बनाए रखा जा सकेगा. जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क, ढेला रेंज में बने रेस्क्यू सेंटर में तमाम जानवरों के इलाज और उनके रखने के लिए बाड़े बनाए गए हैं. जिनकी क्षमता कुछ इस प्रकार है

  • मौजूदा क्षमता 10 बाघ और 10 गुलदार के लिए
  • प्रस्तावित क्षमता 16 बाघ और 16 गुलदार के लिए 32 नए बाड़े
  • उत्तराखंड के साथ ही देश के अन्य राज्यों के वन्य जीवों का उपचार और पुनर्वास हो पाएगा 

कार्बेट का रेस्क्यू सेंटर वन्यजीव संरक्षण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. इसके विस्तार से न केवल उत्तराखंड, बल्कि देशभर के वन्यजीवों को जीवनदान मिलेगा. वन्यजीव संघर्ष में घायल हुए बाघ, तेंदुए और अन्य जानवरों को समय रहते उपचार मिल सकेगा, जिससे उनकी जान बचाई जा सकेगी. यह कदम वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक बड़ा और महत्वपूर्ण प्रयास है.

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