उत्तराखंड में पिछले 3 साल में बने स्थायी निवास प्रमाण पत्रों की होगी जांच, कांग्रेस ने उठाए सवाल
Uttarakhand News: कांग्रेस नेता ने सवाल उठाया कि आखिर पिछले कई वर्षों में यह स्थिति कैसे बनी. उन्होंने कहा कि जब से राज्य में बीजेपी की सरकार सत्ता में है तब से स्थायी निवास के नियमों में ढील कैसे दी.

उत्तराखंड में बीते तीन वर्षों के दौरान जारी किए गए स्थायी निवास प्रमाण पत्रों की व्यापक जांच के आदेश जारी होने के बाद राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है. सरकार के इस निर्णय पर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने गंभीर सवाल खड़े करते हुए आरोप लगाया है कि लंबे समय से नियमों की अनदेखी कर फर्जी प्रमाण पत्र बनाए गए, जिससे राज्यवासियों के अधिकारों का हनन हुआ है.
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि उनकी पार्टी लगातार इस मुद्दे को उठाती आ रही थी और पहले भी अनेक बार ऐसे प्रमाण पत्रों पर रोक लगाने तथा इसकी जांच कराने की मांग कर चुकी थी. उन्होंने आरोप लगाया कि नियमों में जानबूझकर लापरवाही बरती गई, जिससे बाहरी लोगों को भी स्थायी निवास प्रमाण पत्र जारी किए गए. गोदियाल के मुताबिक, कांग्रेस की ओर से दिए गए तर्क और शिकायत अब सही साबित हो रहे हैं.
उन्होंने कहा कि अब तीन वर्षों में जारी हुए प्रमाण पत्रों की जांच का आदेश यह दर्शाता है कि पूरे मामले में अनियमितताएं थीं. गोदियाल के अनुसार, “हमारी मांग आज सही साबित हुई है. प्रमाण सामने आ चुके हैं कि कई लोगों ने गलत तरीके से स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनवाए और यह सब प्रशासन की शिथिलता के कारण संभव हुआ.
स्थायी निवास के नियमों में ढील कैसे दी गई- कांग्रेस
कांग्रेस नेता ने आगे यह भी सवाल उठाया कि आखिर पिछले कई वर्षों में यह स्थिति कैसे बनी. उन्होंने कहा कि जब से राज्य में बीजेपी की सरकार सत्ता में है तब से स्थायी निवास के नियमों में ढील कैसे दी गई और किसकी अनुमति से ऐसा हुआ. यह सवाल सरकार को जनता के सामने स्पष्ट करना चाहिए. गोदियाल ने आरोप लगाया कि सरकार अब इस जिम्मेदारी से बचने के लिए अधिकारियों को दोषी ठहरा रही है, जबकि पूरी प्रक्रिया में राजनीतिक नेतृत्व और संगठन की भी समान भूमिका रही है.
उन्होंने कहा कि अगर अधिकारी गलत पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन साथ ही सरकार को भी अपनी जिम्मेदारी से पलायन नहीं करना चाहिए. गोदियाल ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए कहा कि “यह राज्यवासियों के अधिकारों पर सीधा हमला है और आने वाले समय में जनता इसका जवाब देगी. कांग्रेस का कहना है कि बीते दो वर्षों से वह लगातार चेतावनी देती आ रही थी कि नियमों में ढील देकर बाहरी लोगों को लाभ पहुंचाया जा रहा है. अब जब मामला उजागर हो चुका है तो कांग्रेस ने सरकार से पारदर्शी जांच की मांग की है और कहा है कि जनता इस मुद्दे पर सरकार को जवाबदेह बनाएगी.
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