मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश के बाद लखनऊ नगर निगम की एक कार्रवाई को लेकर विवाद हो रहा है. मेयर द्वारा एक झुग्गी-झोपड़ी इलाके में जाकर चेकिंग अभियान चलाने और 15 दिनों के भीतर झोपड़ियां खाली करने के आदेश के बाद अब इस मुद्दे पर राजनीति तेज हो गई है.
इस मामले पर कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज आलम के सामने झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों ने अपनी पीड़ा साझा की. स्थानीय लोगों का कहना है कि वे पिछले 19-20 वर्षों से अपने परिवार के साथ यहां रह रहे हैं और साफ-सफाई सहित अन्य कार्य कर अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं. लोगों का दावा है कि उनके पास एनआरसी सहित सभी जरूरी दस्तावेज मौजूद हैं, इसके बावजूद उन्हें घुसपैठिया कहकर इलाके से हटाने की बात कही जा रही है, जो उन्हें अपमानजनक लग रहा है. उन्होंने कहा मेयर के आने पर उनके कर्मियों ने उनके साथ लूट करी, ये सारे लोग असम के बरपेटा जिले के रहने वाले हैं. लोगों ने आरोप लगाया कि मेयर ने उनकी बात सुने बिना ही सीधा इलाका खाली करने का आदेश दे दिया.
इस मामले में एबीपी न्यूज से बातचीत करते हुए कांग्रेस नेता शाहनवाज आलम ने मेयर की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा मेयर किस हैसियत से लोगों के दस्तावेजों की जांच कर रही थीं? उन्हें यह अधिकार किसने दिया? क्या भारत सरकार की एजेंसियों द्वारा बनाए गए सभी डॉक्यूमेंट फर्जी हैं? उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री की लिखी हुई पटकथा पर भाजपा कार्यकर्ता काम कर रहे हैं और निर्दोष लोगों को चिन्हित कर उन्हें डिटेंशन सेंटर में भेजने की तैयारी की जा रही है.
कांग्रेस नेता शाहनवाज आलम ने इस कार्रवाई को असम और पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनावों से जोड़ते हुए कहा कि जहां बंगाल में एसआईआर हो रहा, वहीं असम में नहीं हो रहा है और उत्तर प्रदेश में इस तरह का माहौल बनाया जा रहा है.