उत्तर प्रदेश में मंदिर पर्यटन से अर्थव्यवस्था को सीएम योगी आदित्यनाथ ने जो रफ्तार दी है, अब काशी-खजुराहो वंदे भारत ट्रेन के परिचालन से उसकी गति चौगुनी बढ़ जाएगी. वाराणसी और खजुराहो के बीच चलने वाली यह ट्रेन काशी से सुबह 5.15 बजे चलकर दोपहर 1.10 बजे खजुराहो पहुंचेगी. वापसी में यह खजुराहो से दोपहर 3.20 बजे रवाना होगी और रात 11.10 बजे बनारस पहुंचेगी. खजुराहो-बनारस वंदे भारत एक्सप्रेस हफ्ते में छह दिन चलेगी. गुरुवार को यह ट्रेन नहीं चलेगी. रास्ते में यह विंध्याचल, प्रयागराज, छिवकी, चित्रकूट धाम, कर्वी, बांदा और महोबा में रुकेगी. इससे उत्तर प्रदेश का एक बड़ा हिस्सा कवर होगा. 

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने का जो सपना देखा है उसमें मंदिर पर्यटन मददगार साबित हो रहा है. इस वंदे भारत ट्रेन के परिचालन से यह सपना हकीकत में बदलता हुआ दिखने लगा है.  

2017 से पहले लचर कानून व्यवस्था की वजह से पर्यटक उत्तर प्रदेश में आने से डरते थे. 2017 में यूपी की बागडोर संभालने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न केवल कानून व्यवस्था को ठीक किया बल्कि उपेक्षा के शिकार मंदिरों का भी पुनरुद्धार किया. काशी, अयोध्या, विंध्याचल, मथुरा में निर्माण कार्यों से उसकी दिव्यता और भव्यता को वापस लौटाया. इसी श्रृंखला में काशी-खजुराहो वंदे भारत ट्रेन के परिचालन से मंदिर पर्यटन को और रफ्तार मिलने वाली है. 

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अब आधुनिक सुविधाओं से लैस उत्तर प्रदेश के तीर्थ स्थलों पर तीर्थयात्री समा नहीं रहे हैं. काशी धाम ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है. 2021 में कॉरिडोर बनने के बाद से अब तक लगभग 26 करोड़ से अधिक श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर चुके हैं. इससे उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सवा लाख करोड़ रुपये का योगदान मिला है. सीएम योगी के नेतृत्व में धार्मिक पर्यटन यूपी की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दे रहा है.

काशी की तरह अयोध्या और मथुरा में भी इसी तरह का विकास देखने को मिला है. अयोध्या नगरी ने रामराज्य की परिभाषा को पुनर्जीवित कर दिया है. डबल इंजन की सरकार की वजह से अयोध्या अपनी पवित्रता, भव्यता और दिव्यता के साथ साथ विकास की एक नई राह पर चल पड़ा है.  राम मंदिर बनने के बाद 2024 में करीब 16.44 करोड़ तीर्थयात्रियों ने रामलला के दर्शन किए जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है. 2025 में अब तक अयोध्या में रिकॉर्डतोड़ 20 करोड़ से अधिक तीर्थयात्री आ चुके हैं. 

और इसी का परिणाम है कि उत्तर प्रदेश में मंदिर और उससे जुड़ी गतिविधियों ने उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में करीब ₹1.25 लाख करोड़ का योगदान किया है. आंकड़ों को मुताबिक 2023 में अयोध्या आने वाले पर्यटकों की संख्या 5.76 करोड़ थी जो 2024 में बढ़कर 16.44 करोड़ तक पहुंच गई. इसी दौरान काशी में यह वृद्धि 10.18 करोड़ से 11 करोड़, मथुरा में 7.79 करोड़ से 9 करोड़ हुई. प्रयागराज में 5.06 करोड़ की तुलना में 5.12 करोड़ पर्यटक आए.

राज्य बजट 2025-26 में पर्यटन क्षेत्र को लगभग ₹2,026.06 करोड़ का अनुदान दिया गया है. इसके तहत मंदिर-पर्यटन, तीर्थ-मंडल, रोड्स/हाईवे सुविधाएं आदि शामिल हैं. 

मंदिर पर्यटन से अर्थव्यवस्था में सुधार

मंदिर पर्यटन में बढ़ोतरी से उत्तर प्रदेश में रोजगार के अवसर भी सृजित हो रहे हैं. इससे होटल कारोबार, ब्रेवरीज व्यवसाय, ट्रांसपोर्ट जैसे क्षेत्र में रोजगार में आशातीत वृद्धि हुई है. जब बहुत बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं तो स्थानीय दुकानें, गाइड-सेवाएँ आदि सक्रिय हो जाती हैं.इससे न केवल रोजगार बढ़ता है बल्कि आय बढ़ती है, स्थानीय उपभोग बढ़ता है जिसका सीधा असर राज्य की जीएसडीपी पर होता है. इसके अलावा, जब तीर्थ-परिसरों का विकास होता है तो सड़कें, फ्लाईओवर, गेस्टहाउस, मंदिरों का कायाकल्प भी होता है जिससे निवेश बढ़ता है, परिसम्पत्तियाँ बनती हैं. 2028 तक यूपी में पर्यटन क्षेत्र से लगभग ₹70,000 करोड़ तक का योगदान हो सकता है.

द वर्ल्ड ट्रेवल एंड टूरिज्म काउंसिल (WTTC) ने राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन के परिदृश्य के बारे में जो पूर्वानुमान जताया है उससे तो इस बात के पुख्ता संकेत मिल रहे हैं कि योगी सरकार के प्रयासों से आने वाले समय में यूपी में पर्यटन को और पंख लगेंगे.

WTTC के अनुसार देश के लिए पर्यटन के लिहाज से साल 2025 रिकॉर्ड ब्रेकिंग हो सकता है. इसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था में इस सेक्टर का योगदान 22 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है. इस पूर्वानुमान के अनुसार टूरिज्म सेक्टर से जुड़े सेक्टर्स में रोजगार पाने वालों की संख्या 48 मिलियन से अधिक हो सकती है. संस्था की ओर से साल 2030 के लिए जताए गए पूर्वानुमान के अनुसार पर्यटन से अर्थव्यवस्था को मिलने वाला योगदान 42 लाख करोड़ और रोजगार बढ़कर 64 मिलियन हो जाएगा.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अनुसार, “धार्मिक पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ावा देने के प्रयास न केवल आस्था को आह्लादित करते हैं बल्कि अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाते हैं. केंद्र सरकार की स्वदेश दर्शन, प्रसाद तथा रामायण, कृष्ण, बौद्ध सर्किट जैसी योजनाओं ने पर्यटन विकास को गति दी हैं.

4560 करोड़ रुपये की लागत से धार्मिक स्थलों को जोड़ने वाले 272 मार्गों का विकास करा रही है. महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों पर आने वाले घरेलू एवं विदेशी पर्यटकों को वैश्विक स्तर की बुनियादी सुविधाएं मिलें, इसे ध्यान में रखते हुए वहां विकास कार्य हो रहे हैं. मसलन लखनऊ, प्रयागराज, कपिलवस्तु में हेलीपोर्ट सेवा शुरू हो चुकी है. कुछ अन्य प्रमुख पर्यटन स्थलों को भी शीघ्र ही इस सेवा का लाभ मिलने लगेगा. अयोध्या शोध संस्थान का उच्चीकरण, अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान की स्थापना भी हो रही है. कुशीनगर में बुद्धा थीम पार्क परियोजना, सीतापुर स्थित नैमिषारण्य तपोस्थली पर वेद विज्ञान अध्ययन केंद्र की स्थापना के साथ नैमिष तीर्थ एवं शुक्र तीर्थ का पुनरुद्धार किया गया है.2025 में प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में कुल 66.30 करोड़ पर्यटक, श्रद्धालु आए थे. इनके जरिये प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक की रकम मिली.

योगी सरकार की दूरदर्शी नीतियों और योजनाओं की वजह से उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था लगातार आगे बढ़ रही है और अपने नागरिकों को रोजगार के नए नए अवसर मुहैया करा रही है. यही वजह है कि प्रदेश की जनता अपने मुख्यमंत्री के साथ कदम से कदम मिलाकर विकास की राह पर चल पड़ी है.