UP News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शी सोच से शुरू हुई सीएम फेलोशिप योजना अब ग्रामीण विकास का पर्याय बन चुकी है. प्रदेश के 100 आकांक्षात्मक ब्लॉकों में तैनात सीएम फेलोज़ अपने रचनात्मक और इनोवेटिव प्रयासों से गांवों की तस्वीर बदल रहे हैं. स्वास्थ्य, शिक्षा, और कृषि जैसे क्षेत्रों में ये युवा मुख्यमंत्री के आत्मनिर्भर गांव के विजन को साकार कर रहे हैं.
लखीमपुर: स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव
लखीमपुर के बांकेगंज ब्लॉक में सीएम फेलो सुरेंद्र दीक्षित ने गांव कुकरा और जलालपुर के उपस्वास्थ्य केंद्रों को नया जीवन दिया। मात्र 8.50 लाख रुपये के खर्च से केंद्रों की मरम्मत और प्रसव केंद्र की शुरुआत की गई. नतीजा- अब यहां 94% इंस्टीट्यूशनल डिलीवरी हो रही है, जहां पहले महीने में 5-6 प्रसव होते थे, अब यह संख्या 20 तक पहुंच गई. इससे मातृ-शिशु स्वास्थ्य देखभाल में उल्लेखनीय सुधार हुआ.
बदायूं: मधुबनी पेंटिंग से जागरूकता और फंड
बदायूं के सलारपुर ब्लॉक में सीएम फेलो मयंक सिंह ने अनूठा प्रयोग किया. उन्होंने महंगे बैनरों की जगह स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से मधुबनी पेंटिंग वाले जागरूकता बैनर बनवाए. इनसे न केवल स्वास्थ्य जागरूकता फैली, बल्कि फंड जुटाकर चार आंगनबाड़ियों के लिए उपकरण खरीदे गए. इस पहल से गर्भवती महिलाओं की जांच और पंजीकरण में वृद्धि हुई. स्थानीय महिला मोमिना ने जरी-जरदोजी बैनर बनाकर राज्य स्तर पर पुरस्कार भी जीता.
गोरखपुर: काला नमक चावल से किसानों की समृद्धि
गोरखपुर के ब्रह्मपुर ब्लॉक में सीएम फेलो प्रवीण कुमार राव ने काला नमक चावल का 58 हेक्टेयर क्लस्टर विकसित किया. एफपीओ के माध्यम से किसानों को बीज और सब्सिडी दिलवाकर उत्पादन बढ़ाया गया. परिणामस्वरूप, चावल का निर्यात शुरू हुआ और किसानों की आय में डेढ़ गुना वृद्धि हुई. यह यूपी की कृषि निर्यात नीति 2019 का सफल उदाहरण है.
बलिया: स्मार्ट क्लास से शिक्षा में नया रंग
बलिया के सोहवां ब्लॉक में सीएम फेलो विनोद कुमार जयसवाल ने प्राथमिक विद्यालय नरही में स्मार्ट टीवी के जरिए डिजिटल क्लास शुरू की. इससे पढ़ाई रोचक बनी, स्कूल में नामांकन 148 से 194 हुआ, और उपस्थिति 85% तक पहुंच गई.
सीएम फेलोशिप योजना: ग्रामीण विकास का नया मॉडल
2022 में शुरू हुई सीएम फेलोशिप योजना का उद्देश्य आकांक्षात्मक ब्लॉकों में सरकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करना है. सीएम फेलोज़ को एक साल के लिए तैनात किया जाता है, और वे जिला प्रशासन के सहयोग से सरकार और जनता के बीच सेतु का काम करते हैं. उनकी रचनात्मक सोच ने योजना को यूपी विकास मॉडल का मील का पत्थर बना दिया है.