उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और लोगों के लिए विषमुक्त अन्न, दूध, फल व सब्जियां उपलब्ध कराने की दिशा में बड़े स्तर पर अभियान शुरू करने जा रही है. इसके तहत एक करोड़ से अधिक किसानों को गो आधारित खेती से जोड़ा जाएगा, जिससे उनकी आमदनी बढ़ेगी और स्वास्थ्य संरक्षण में भी बदलाव आएगा. 

उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पहली बार प्रदेश में गांव-गांव अभियान चलाने की तैयारी की गई है. इस अभियान के माध्यम से करीब एक करोड़ से अधिक किसान परिवारों को आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलेगा. 

गांव-गांव में चलाया जाएगा. अभियानकिसानों को गो आधारित खेती से जोड़ने के लिए प्रशिक्षण, संसाधन और तकनीकी सहायता उपलब्ध कराई जाएगी. इस मॉडल के अंतर्गत हर गांव में गोशालाओं के माध्यम से बायोगैस, वर्मीकम्पोस्ट, जीवामृत, घनजीवामृत आदि का उत्पादन कर खेतों में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. इससे किसानों की रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर निर्भरता घटेगी.

रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों के महंगे विकल्पों के स्थान पर जीवामृत, घनजीवामृत और वर्मीकम्पोस्ट जैसे जैविक विकल्पों को अपनाकर किसान प्रति एकड़ 10 से 12 हजार रुपये तक की बचत कर सकेंगे. इससे खेती की लागत घटेगी और उत्पाद की गुणवत्ता भी बढ़ेगी. यह मॉडल मिट्टी की उर्वरता को भी बनाए रखेगा.

स्वास्थ्य की रक्षा और बीमारियों से बचावयोगी सरकार का यह कदम केवल खेती और किसानों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका असर प्रदेशवासियों के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक रूप से दिखाई देगा. रासायनिक अन्न और उत्पादों के सेवन से कैंसर, थायराइड, बांझपन, मानसिक असंतुलन, हार्मोनल गड़बड़ियां और मधुमेह जैसी गंभीर बीमारियां होती है. जिनसे बचा जा सकेगा. 

समृद्ध और स्वस्थ प्रदेश की ओर कदममुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शी नीतियों के परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश को स्थायी, समृद्ध और स्वस्थ प्रदेश बनाने की दिशा में प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं. गो आधारित खेती, ग्राम ऊर्जा मॉडल और जैविक खेती से न केवल किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि एक हरित और स्वच्छ भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त होगा. 

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