देहरादून. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत एक के बाद एक लगातार पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सरकार के फैसले पटलते जा रहे हैं. तीरथ सरकार ने शुक्रवार को एक और बड़ा फैसला लिया है. राज्य सरकार ने पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सरकार में नियुक्त एवं मनोनीत दर्जाधारी कैबिनेट स्तर मंत्री, राज्य मंत्री, निगम बोर्ड के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष को हटा दिया है. मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने आदेश जारी करते हुए इन सभी को पद मुक्त करने के निर्देश जारी कर दिए हैं. आदेशों के अनुसार विभिन्न आयोगों, निगमों, परिषदों में नामित एवं नियुक्त अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं अन्य पदों पर गैर सरकारी को मंत्री स्तर राज्यमंत्री स्तर को तत्काल प्रभाव से पद मुक्त किया गया है. बड़ी बात यह है कि संवैधानिक पदों पर नियुक्त हुए यानी आयोगों में मनोनीत महानुभाव यथावत बने रहेंगे.


इस मामले पर सरकार के शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि ये एक सामान्य प्रक्रिया है. उन्होंने कहा कि ये मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है. उन्होंने आगे कहा कि समय-समय पर कार्यकर्ताओं को पद दिए जाते हैं. किसी में कोई नाराजगी नहीं होगी और सरकार का कार्य पहले की तरह चलता रहेगा.


वहीं महिला बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि निर्णय को जारी रखना और निरस्त करना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है. क्योंकि मुख्यमंत्री के पास तमाम खुफिया रिपोर्ट और फीडबैक विभिन्न माध्यमों से आता है. इसीलिए कुछ और अनुभवी लोगों को जगह भी मिल सकती है. उन्होंने कहा कि हर एक कार्यकर्ता को इंतजार करना चाहिए.


कांग्रेस का निशाना
वहीं सरकार के इस फैसले पर विपक्ष ने सियासी हमला बोला है. कांग्रेस ने कहा कि प्रदेश के साथ भद्दा मजाक हो रहा है. बीजेपी ने जब दूल्हा बदल दिया तो बारातियों का भी बदलना स्वाभाविक है.


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