उत्तराखंड में खनन गतिविधियों को व्यवस्थित और राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य से भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग ने राज्य में 51 नए खनन पट्टों की स्वीकृति प्रक्रिया शुरू कर दी है. विभाग का अनुमान है कि इन पट्टों से हर साल 50 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त होगा.

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विभाग के अनुसार, ये खनन पट्टे देहरादून, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर सहित राज्य के विभिन्न जिलों में दिए जा रहे हैं. इनमें 45 पट्टे पांच हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल वाले हैं, जबकि 6 पट्टे पांच हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल के हैं. वहीं खनिकर्म विभाग के निदेशक और वन निगम आरएम ने इस बारे में जानकारी दी है.

इन पट्टों से पत्थर और रेता की निकासी की जाएगी

इन सभी पट्टों के माध्यम से करीब 43 लाख घनमीटर पत्थर और रेता की निकासी की जाएगी. भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के निदेशक राजपाल लेघा ने बताया कि पांच हेक्टेयर तक के पट्टों के लिए पांच वर्ष और पांच हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल वाले पट्टों के लिए दस वर्ष तक खनिज निकासी की अनुमति दी जाएगी. 

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उन्होंने कहा कि "नए पट्टों के आवंटन से न केवल राजस्व में वृद्धि होगी बल्कि निर्माण कार्यों के लिए आवश्यक खनिजों की स्थानीय आपूर्ति भी सुनिश्चित होगी." वहीं, वन निगम के आरएम मुख्यालय महेश आर्य ने बताया कि "इस वर्ष निगम की ओर से दो नई नदियों को जोड़कर कुल 13 नदियों में खनन कार्य कराया जाएगा." 

रोजगार के अवसर पैदा होंगे

इससे न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे बल्कि निगम के राजस्व में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी. राज्य सरकार ने पर्यावरणीय संतुलन और खनन क्षेत्र में पारदर्शिता को बनाए रखते हुए इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. 

विभाग का दावा है कि सभी खनन कार्य पर्यावरणीय मंजूरी और सुरक्षा मानकों के अनुरूप कराए जाएंगे. इस पहल से सरकार को जहां आर्थिक लाभ होगा, वहीं प्रदेश में खनिज संसाधनों के संतुलित और नियोजित दोहन की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.