मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि अगर गांव का किसान मजबूत होगा, तो राज्य भी समृद्ध होगा. इसी सोच के साथ मुख्यमंत्री ने प्रदेश में ‘मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना’ लागू करने के निर्देश दिए हैं. इसका मकसद लघु और सीमांत किसानों को आसान और सस्ती दर पर ऋण उपलब्ध कराना है, ताकि वे खेती के लिए दूसरों पर निर्भर न रहें और आत्मनिर्भर बन सकें.
मुख्यमंत्री ने सोमवार को सहकारिता विभाग की समीक्षा बैठक में अधिकारियों से योजना की विस्तृत कार्ययोजना जल्द तैयार करने को कहा. उन्होंने कहा कि यह योजना किसानों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आएगी और उन्हें कर्ज के जाल से निकालने में मदद करेगी.
आठ साल में सहकारी बैंकों की बड़ी उपलब्धिमुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में सहकारी बैंकों ने पिछले आठ वर्षों में बड़ी प्रगति की है. वर्ष 2017 में जहां उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक ने ₹9,190 करोड़ का ऋण वितरित किया था, वहीं वर्ष 2025 तक यह आंकड़ा ₹23,061 करोड़ तक पहुंच गया है. इसी तरह जिला सहकारी बैंकों का कारोबार भी ₹28,349 करोड़ से बढ़कर ₹41,234 करोड़ हो गया है.
इन बैंकों ने ₹11,516 करोड़ का फसली ऋण और ₹393 करोड़ का दीर्घकालिक ऋण वितरित किया है. इससे साफ है कि सरकार की नीतियां जमीन पर असर दिखा रही हैं.
भंडारण के लिए गोदामों का निर्माण, निजी निवेश को मिलेगा बढ़ावामुख्यमंत्री ने कहा कि किसान की मेहनत सिर्फ खेत तक नहीं, बल्कि फसल को सुरक्षित रखने तक है. इसलिए भंडारण क्षमता बढ़ाना जरूरी है. उन्होंने बताया कि एआईएफ योजना के तहत अब तक 375 गोदाम बन चुके हैं और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 1,060 गोदामों का निर्माण हो चुका है. आने वाले समय में 16 जिलों में 500 से 1000 मीट्रिक टन क्षमता के नए गोदाम बनाए जाएंगे.
उन्होंने निजी निवेश को भी बढ़ावा देने की बात कही और अधिकारियों से कहा कि इस दिशा में स्पष्ट और सरल नीति तैयार की जाए.
आईबीपीएस से होगी भर्ती, एम-पैक्स समितियों का होगा डिजिटल कायाकल्पमुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि सहकारी क्षेत्र में खाली पदों को भरने के लिए अब भर्ती प्रक्रिया आईबीपीएस के माध्यम से की जाए, जिससे योग्य लोगों को मौका मिल सके और सहकारी संस्थाओं की सेवाओं में सुधार हो.
साथ ही उन्होंने एम-पैक्स समितियों को पीडीएस, जन औषधि केंद्र, पीएम किसान सम्मान केंद्र और अन्य योजनाओं से जोड़ने के निर्देश भी दिए. राज्य में 5,000 से अधिक एम-पैक्स समितियों का कंप्यूटरीकरण किया जा रहा है, जिससे गांवों में सहकारिता की ताकत और बढ़ेगी.
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भारत में सहकारिता आंदोलन की शुरुआत स्वतंत्रता से पहले ही हो चुकी थी. इसका मकसद ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और छोटे किसानों को सशक्त बनाना रहा है. उत्तर प्रदेश में सहकारिता विभाग लंबे समय से कृषि ऋण, खाद-बीज वितरण और भंडारण के क्षेत्र में काम कर रहा है. लेकिन अब योगी सरकार इसे तकनीक और पारदर्शिता के साथ जोड़कर नए रूप में विकसित कर रही है. इससे किसानों को न केवल समय पर मदद मिल रही है, बल्कि वे सम्मान के साथ आत्मनिर्भर भी बन पा रहे हैं. मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि सहकारिता से ही आत्मनिर्भर किसान का सपना पूरा होगा.