Char Dham Yatra 2025: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले एक बड़ी चुनौती सामने आई है. यात्रा में उपयोग किए जाने वाले घोड़े-खच्चरों में इन्फ्लुएंजा वायरस H3N8 पाया गया है. पशुपालन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, इस वायरस के संक्रमण की पुष्टि के बाद अब तक एक दर्जन से अधिक घोड़े और खच्चरों को क्वारंटीन कर दिया गया है. इस वायरस के पहले भी 2009 में मामले सामने आए थे, जिनमें सौ से अधिक घोड़े-खच्चरों की मौत हो गई थी. इसे फैलने से रोकने के लिए राज्य सरकार और प्रशासन ने सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं.

H3N8 एक प्रकार का इन्फ्लुएंजा वायरस है, जो मुख्य रूप से घोड़ों, खच्चरों, पक्षियों और कुत्तों को प्रभावित करता है. पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि यह वायरस संक्रमित जानवरों की खांसी, छींक, दूषित पानी, चारे या उपकरणों के संपर्क में आने से फैलता है. विशेष रूप से भीड़भाड़ वाले अस्तबलों, प्रतियोगिताओं और यात्रा मार्गों में यह वायरस तेजी से फैल सकता है.

क्या हैं इसके लक्षणH3N8 वायरस से संक्रमित घोड़ों और खच्चरों में कई लक्षण देखे जा सकते हैं. इनमें तेज बुखार, लगातार खांसी, नाक से पानी बहना, कमजोरी, सुस्ती और सांस लेने में दिक्कत की समस्या है. इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिए प्रशासन ने टीकाकरण अभियान शुरू किया है. इसके अलावा, संक्रमित जानवरों को अलग रखने, स्वच्छता बनाए रखने और यात्रा मार्गों पर नियमित स्वास्थ्य जांच करने के निर्देश दिए गए हैं.

पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि अन्य राज्यों से आने वाले घोड़ों और खच्चरों के लिए संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र भेजा गया है. पत्र में यह निर्देश दिया गया है कि यात्रा में भाग लेने वाले सभी घोड़े-खच्चरों को हेल्थ फिटनेस प्रमाणपत्र के साथ ही भेजा जाए. यदि किसी पशु के पास प्रमाणपत्र नहीं होगा तो उसे यात्रा में शामिल नहीं किया जाएगा.

नियमित रूप से होगी जांचउत्तराखंड सरकार और प्रशासन ने इस वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं. यात्रा मार्गों पर पशु चिकित्सा दल तैनात किए गए हैं जो नियमित रूप से घोड़ों और खच्चरों की जांच करेंगे. यदि किसी भी पशु में संक्रमण के लक्षण पाए जाते हैं तो उसे तुरंत यात्रा से अलग कर दिया जाएगा.

इसके अलावा, यात्रा मार्गों पर सफाई और सैनिटाइजेशन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. अधिकारियों ने बताया कि सभी घोड़े-खच्चर मालिकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने पशुओं की नियमित जांच कराएं और किसी भी असामान्य लक्षण की सूचना तुरंत प्रशासन को दें. H3N8 वायरस मुख्य रूप से जानवरों को प्रभावित करता है लेकिन अब तक इंसानों में इसके संक्रमण के कुछ दुर्लभ मामले दर्ज किए गए हैं. 

बरतनी होगी सावधानीहालांकि विशेषज्ञों के अनुसार, यह वायरस आमतौर पर मनुष्यों के लिए गंभीर खतरा नहीं बनता. फिर भी, पशु चिकित्सा विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि घोड़ों और खच्चरों के संपर्क में आने वाले लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए और बुनियादी स्वच्छता उपायों का पालन करना चाहिए. चारधाम यात्रा के दौरान घोड़े-खच्चरों का उपयोग बड़ी संख्या में किया जाता है. 

यह न केवल यात्रियों की सुविधा के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए आजीविका का भी एक बड़ा स्रोत हैं. वायरस के संक्रमण की खबर से घोड़े-खच्चर मालिकों और व्यापारियों में चिंता बढ़ गई है. कुछ स्थानीय व्यापारियों ने मांग की है कि सरकार घोड़ों और खच्चरों की स्वास्थ्य जांच मुफ्त में कराए और यदि किसी पशु को क्वारंटीन किया जाता है तो उसके मालिक को मुआवजा दिया जाए. 

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वायरस ने बढ़ाई चिंताप्रशासन का कहना है कि वे इस मुद्दे पर विचार कर रहे हैं और जल्द ही उचित निर्णय लिया जाएगा. चारधाम यात्रा से पहले घोड़ों और खच्चरों में H3N8 वायरस का पाया जाना चिंता का विषय है. हालांकि, प्रशासन द्वारा उठाए गए सख्त कदमों और टीकाकरण अभियानों से इस वायरस के प्रसार को रोका जा सकता है. यात्रियों और स्थानीय लोगों को सतर्क रहने और सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करने की सलाह दी गई है

पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि पूरी तरह ठीक होने तक संक्रमित घोड़ों का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा. इस वायरस की रोकथाम के लिए तमाम इंतजाम किए जा रहे हैं और बाहर से आने वाले उन्हीं घोड़े खच्चरों का रजिस्ट्रेशन होगा जो सरकारी डॉक्टर का हेल्थ फिटनेस प्रमाणपत्र साथ लाएंगे. वही सौरभ बहुगुणा ने यह भी बताया कि हम व्यापक स्तर पर स्क्रीनिंग करेंगे ताकि किसी भी प्रकार से यह वाइरस न फैल सके.