Char Dham yatra 2022: उत्तराखंड में चार धाम यात्रा को एक सप्ताह पूरा हो गया है. तीन मई से यह यात्रा शुरू हुई थी. गंगोत्री-यमुनोत्री सहित अब केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट भी खुल गए हैं जिससे यात्रा का पूरी तरह से आगाज हो चुका है. यात्री पहले धाम यमुनोत्री से अपनी यात्रा शुरू कर रहे हैं जिसके बाद गंगोत्री-केदारनाथ-बद्रीनाथ के दर्शन कर अपनी यात्रा पूरी कर रहे हैं. सीमांत जनपद उत्तरकाशी में स्थित यमनोत्री और गंगोत्री की तो दोनों धामों में बीते एक सप्ताह से हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु पहुचं रहे हैं.

यात्रा शुरू होने से लेकर अब तक गंगोत्री धाम में अब तक 41643 श्रद्धालु पहुंचे हैं जिनमें 21142 पुरुष,19131 महिलाएं व 1370 बच्चे शामिल हैं जबकि यमनोत्री धाम में 39144 यात्री पहुंच चुके हैं जिनमें 21442 पुरुष,16927 महिलाएं व 775 बच्चे शामिल हैं.

70 फीसदी यात्री मेडिकली अनफिट, 13 की हुई मौत

डॉक्टरों की मानें तो धामों में पहुंचने वाले करीब 70 फीसदी यात्री मेडिकली अनफिट हैं. जिनमें अधिकतर दमा, हाइपर टेंशन,शुगर के मरीज हैं जिससे यात्रियों की मौत भी हो रही है. उत्तरकाशी जनपद के दोनों धामों व रास्ते में अब तक कुल 13 लोगों की मौत हो चुकी है. जिसमें यमनोत्री धाम में 10 व गंगोत्री धाम में 03 लोगों की मौत हो चुकी है.

यमनोत्री धाम सड़क से 5 किलोमीटर की पैदल दूरी पर है जहां चढ़ाई है. वैसे तो डंडी कंडी, खच्चर की सुविधाएं भी हैं लेकिन ज्यादतर श्रद्धालु पैदल ही जाना पसंद करते हैं. जिससे बीमार श्रद्धालुओं को दिक्कतें होती है.

मृतकों में ये हैं शामिल यमुनोत्री धाम के लिए जानकीचट्टी से यमुनोत्री का पैदल ट्रैक पर 10 लोगों की मौत हो चुकी है जिनमें उत्तर प्रदेश के अनिरुद्ध प्रसाद ( 65 ), राजस्थान के कैलाश चौबीसा (63), मध्य प्रदेश के सकून पर्रिकर(64), उत्तर प्रदेश के रामयज्ञ तिवारी (64), मध्य प्रदेश की सुनीता खडीकर (62), गुजरात के जयेश भाई (47), महाराष्ट्र की देवश्री के जोशी (38), मध्य प्रदेश के ईश्वर प्रसाद (65) ,मुम्बई के जगदीश (60),बंगलुरु के महादेव बेकेटा (40) अपनी जान गंवा चुके हैं.

स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार ये लंबे समय से बीमार थे और इन सभी लोगों ने उच्च रक्तचाप के कारण ह्रदय गति रुकने से अपनी जान गंवाई है.

वहीं गंगोत्री धाम में नेपाल के लाल बहादुर (50), महाराष्ट्र के दीपक दवे (62) और मुम्बई की मेघा विलास (58) ह्रदय गति रुकने से अपनी जान गंवाई है. बता दें कि ह्रदय गति रुकने से 2014 में 2 (यमुनोत्री ), 2015 में 03(यमुनोत्री) 01(गंगोत्री), 2016 में 13(यमुनोत्री) 06(गंगोत्री), 2017 में 17 (यमुनोत्री) 04 (गंगोत्री), 2018 में 16 (यमुनोत्री) 02 (गंगोत्री), 2019 में 12 (यमुनोत्री) 05 (गंगोत्री ) और 2022 में अब तक 10 (यमुनोत्री ) 03 (गंगोत्री) में मौतें हो चुकी हैं.

जानें क्या कहते हैं यात्रा पर तैनात डॉक्टर ?

हैल्थ नोडल ऑफिसर यमनोत्री डॉक्टर RC आर्य ने बताया कि यात्रियों का स्वस्थ अचानक से खराब हो रहा है जिससे टीम को उपचार का समय नहीं मिल रहा है. इस साल बीते कई सालों के मुताबिक ज्यादा यात्री धाम में पहुंच रहे हैं. दो साल कोरोना के चलते भी लोगों की इम्युनिटी कम हुई है और यात्री बड़े से शहरों से चल कर बिना पहाड़ों के क्लाइमेट को समझे धामों में पहुंच रहे हैं जिससे मौतें हो रही हैं.

वहीं डॉक्टर आर्य ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जानकीचट्टी में एक फिजिशियन और MBBS डॉक्टरों की टीम नियुक्त है जो लगातार स्वास्थ्य जांच कर रहे हैं. साथ ही दुबाटा में यात्रियों की स्क्रीनिंग की जा रही है.

साथ ही अब BP और शुगर के पेशेंट ( जिनका दवाई लेने बाद भी कंट्रोल नहीं हो रहा है ) वाले ओल्ड ऐज यात्रियों को जानकीचट्टी में रोका जा रहा है. यमुनोत्री पैदल ट्रैक पर 05 टीमें जो कि हर एक किलोमीटर पर फर्स्ट मेडिकल रिस्पांडर टीम लगाई गई है जिनके पास ऑक्सीजन और जरूरी दवाइयां उपलब्ध है. ऑक्सीजन की कमी न हो इसके लिए राम मंदिर और भैरव मंदिर में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन का स्टॉक रखा गया है.

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