उत्तराखंड में चारधाम यात्रा का शुभारंभ होते ही तीर्थयात्रियों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है. 30 अप्रैल 2025 से आरंभ हुई इस यात्रा के तहत अब तक 1,89,212 श्रद्धालु चारधाम के दर्शन कर चुके हैं. तीर्थों में आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा है और श्रद्धालु बड़ी संख्या में भगवान के दर्शनों के लिए उत्तराखंड की ओर रुख कर रहे हैं.

केदारनाथ में सबसे ज्यादा श्रद्धालुअधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक सबसे अधिक 79,699 श्रद्धालुओं ने केदारनाथ धाम में दर्शन किए हैं. यमुनोत्री धाम में 48,194, गंगोत्री में 37,739 और बदरीनाथ धाम में 23,580 तीर्थयात्री दर्शन कर चुके हैं. यात्रा को लेकर न केवल देशभर से श्रद्धालु उमड़ रहे हैं, बल्कि सरकार और स्थानीय प्रशासन भी इसे सुचारू और सुरक्षित बनाने में जुटा है.

श्रद्धालु ये चीजें रखे साथ पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं से संयम और सहयोग बनाए रखने की अपील की है. उन्होंने कहा कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में ऑक्सीजन की कमी के चलते स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए तीर्थयात्रियों को चाहिए कि वे यात्रा पर आने से पूर्व डॉक्टर की सलाह लें और आवश्यक दवाइयों एवं उपकरणों के साथ यात्रा करें. साथ ही, उन्होंने कहा कि तीर्थयात्री अपने साथ पहचान पत्र और यात्रा अनुमति जैसे आवश्यक दस्तावेज रखना न भूलें.

पुलिस को सहयोग के निर्देश मंत्री ने ‘अतिथि देवो भव:’ की परंपरा को निभाने की भी अपील की. उन्होंने पुलिस और स्थानीय प्रशासन को निर्देशित किया कि चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के स्वागत-सत्कार में कोई कमी न छोड़ी जाए. उन्होंने बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के उपलक्ष्य में देशवासियों को शुभकामनाएं भी दीं.

पंजीकरण संख्या बढ़ रही यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में कितनी उत्सुकता है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 24.38 लाख लोगों ने अब तक अपना पंजीकरण करा लिया है. यह संख्या हर दिन तेजी से बढ़ रही है.साथ ही, गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) द्वारा फरवरी 2025 से शुरू की गई ऑनलाइन और ऑफलाइन बुकिंग के तहत अब तक 11.84 करोड़ रुपये से अधिक की बुकिंग हो चुकी है. इससे यात्रा से जुड़े पर्यटन व्यवसाय को भी काफी बढ़ावा मिल रहा है.

आस्था का प्रमुख केंद्र हैयहां बता दें कि चारधाम यात्रा न केवल श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का प्रतीक भी है. सरकार की अपील और व्यवस्थाओं के साथ तीर्थयात्रा को सुरक्षित, सुव्यवस्थित और यादगार बनाने की कोशिशें जारी हैं.