आगामी चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए उत्तराखंड सरकार ने व्यापक स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने सोमवार को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की और यात्रा के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने के लिए महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए.
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि इस वर्ष की चारधाम यात्रा में कुल 74 चिकित्सा इकाइयां स्थापित की जाएंगी, जिनमें 49 स्थायी और 25 अस्थायी इकाइयां शामिल हैं. इन इकाइयों में रोटेशन प्रणाली के तहत विशेषज्ञ चिकित्सक, चिकित्सा अधिकारी और पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती की जाएगी, ताकि हर चरण पर यात्रियों को समय पर चिकित्सा सुविधा मिल सके.
यात्रा मार्गों पर 154 एंबुलेंस की व्यवस्था की जा रही है, जिनमें 17 एडवांस लाइफ सपोर्ट (ALS) एंबुलेंस, एक विशेष बोट एंबुलेंस, और एक हेली एंबुलेंस शामिल है. हेली एंबुलेंस को विशेष रूप से आपातकालीन परिस्थितियों में मरीजों को ऋषिकेश या देहरादून जैसे बड़े अस्पतालों तक तेजी से पहुंचाने के उद्देश्य से तैनात किया जाएगा.
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी निर्देश दिए कि 108 सेवा की एंबुलेंस का रिस्पांस टाइम घटाकर 15 मिनट किया जाए. इसके लिए यात्रा मार्गों पर एंबुलेंस की उपस्थिति सुनिश्चित करने और संचार व्यवस्था को मजबूत करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि सभी चिकित्सा इकाइयों में पर्याप्त मात्रा में दवाइयां, जीवन रक्षक उपकरण और ऑक्सीजन की उपलब्धता होनी चाहिए.
यात्रा मार्गों पर विशेष ध्यान देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि केदारनाथ, यमुनोत्री और हेमकुंड साहिब जैसे दुर्गम स्थलों पर पैदल मार्गों में मेडिकल रिस्पांस प्वाइंट्स की संख्या बढ़ाई जाएगी. इन बिंदुओं पर प्रशिक्षित मेडिकल स्टाफ के साथ-साथ आवश्यक उपकरण भी मुहैया कराए जाएंगे, जिससे ऊंचाई पर चलने वाले तीर्थयात्रियों को समय पर इलाज मिल सके.
इस बार सरकार ने निजी क्षेत्र के चिकित्सा संस्थानों की भागीदारी को भी प्राथमिकता दी है. स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि चारधाम यात्रा के दौरान निजी संस्थानों के कम से कम 40 विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवाएं ली जाएंगी. इन चिकित्सकों को 15-15 दिन के रोटेशन पर यात्रा मार्गों पर तैनात किया जाएगा. इसके लिए विभिन्न चिकित्सा संस्थानों से बातचीत कर सहमति प्राप्त की जा चुकी है.
डॉ. रावत ने कहा कि यात्रा के दौरान किसी भी यात्री को चिकित्सा सुविधा के अभाव में कठिनाई न हो, इसके लिए सरकार ने मजबूत और संवेदनशील स्वास्थ्य तंत्र तैयार किया है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमों के समन्वय से यात्रा को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है.
टिहरी में दर्दनाक हादसा: भागवत कथा सुनकर लौट रहे ग्रामीणों की यूटिलिटी खाई में गिरी, दो की मौत,
उन्होंने यह भी बताया कि इस बार यात्रा में शामिल स्वास्थ्य इकाइयों के संचालन की मॉनिटरिंग डिजिटल माध्यम से की जाएगी, जिससे किसी भी शिकायत या आवश्यकता की जानकारी तुरंत मिल सके और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके.
सरकार की इस विस्तृत योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि चारधाम यात्रा पर आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को सुरक्षित, सुगम और स्वास्थ्य-संवेदनशील वातावरण मिल सके, जिससे वे बिना किसी चिंता के अपनी धार्मिक यात्रा पूर्ण कर सकें.