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उत्तराखंड के चंपावत जिले में प्रस्तावित करीब 10 किलोमीटर लंबे बायपास मार्ग को लेकर पर्यावरणीय चिंताएं गहराने लगी हैं. इस सड़क परियोजना के लिए 1882 पेड़ों की कटाई की जानी है, जिनमें देवदार, चीड़, बांज और उतीस जैसी महत्वपूर्ण प्रजातियां शामिल हैं. परियोजना को लेकर विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन पर सवाल उठने लगे हैं.

यह बायपास मार्ग टनकपुर रोड के मुड़ियानी से शुरू होकर चैकुनीबोरा, चैकुनी पांडेय, कफलांग, शक्तिपुरबुंगा, दुधपोखरा और नगरगांव होते हुए तिलौन तक बनाया जाएगा. इसकी अनुमानित लागत करीब 220.80 करोड़ रुपये बताई जा रही है. परियोजना के पूरा होने से चंपावत शहर में यातायात दबाव कम होने और जाम की समस्या से राहत मिलने की उम्मीद है.

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वन भूमि और पेड़ों की स्थिति

बायपास निर्माण के लिए करीब 8.94 हेक्टेयर वन भूमि और 12.78 हेक्टेयर नाप भूमि का उपयोग किया जाएगा. परियोजना का चिह्नांकन कार्य पूरा हो चुका है. वन विभाग के अनुसार, सभी 1882 पेड़ों को चिन्हित कर लिया गया है और जल्द ही कटाई की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

मुआवजा प्रक्रिया शुरू

प्रशासन ने प्रभावित भूमि स्वामियों को मुआवजा देना शुरू कर दिया है. अधिकारियों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में सर्किल रेट का चार गुना और शहरी क्षेत्रों में दोगुना मुआवजा दिया जा रहा है, ताकि लोगों को आर्थिक नुकसान से राहत मिल सके.

बढ़ी पर्यावरणीय चिंता

हां एक ओर यह परियोजना यातायात सुधार की दिशा में अहम मानी जा रही है, वहीं बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई से पर्यावरणीय असंतुलन, मिट्टी कटाव और पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है, खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में.

अब देखना होगा कि प्रशासन विकास की जरूरतों के साथ पर्यावरण संरक्षण को किस तरह संतुलित करता है.