दिल्ली स्थित शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के पूर्व चीफ स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती पर 17 छात्रों से यौन शोषण के आरोप सामने आने से संत समाज और धार्मिक जगत में गहरा आक्रोश फैल गया है. यह मामला सामने आने के बाद हरिद्वार के संतों ने इस पूरे घटनाक्रम को बेहद निंदनीय बताया है.
उनका कहना है कि ऐसे लोग भगवा वस्त्र धारण कर धर्म और साधु समाज की गरिमा को ठेस पहुंचा रहे हैं. संतों का मानना है कि इस प्रकार की घटनाएं धार्मिक आस्था को आहत करती हैं और इनसे पूरे समाज में गलत संदेश जाता है.
महामंडलेश्वर ने आरोपों को बताया गंभीर
इस मामले पर अवधूत मंडल के महामंडलेश्वर रूपेंद्र प्रकाश ने सख्त शब्दों में कहा कि आरोप बेहद गंभीर हैं और इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. अगर जांच में स्वामी चैतन्यानंद परस्वती दोषी पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह के कृत्य करने से पहले सौ बार सोचे.
वहीं स्वामी हरि बल्लभ शास्त्री ने भी कहा कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाना चाहिए और न्याय प्रणाली को कड़ा संदेश देना चाहिए कि भगवा चोले की आड़ में कोई भी व्यक्ति गलत काम नहीं कर सकता. संत समाज की एकजुट मांग है कि दोषी चाहे कोई भी हो, उसे सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए.
स्वामी के खिलाफ शुरू हुई जांच
फिलहाल इस मामले पर स्वामी चेत्यानंद के खिलाफ जांच शुरू हो गई है. वहीं इस मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद चेत्यानंद फरार हो गए हैं. वहीं इस मामले में 32 छात्राओं के बयान दर्ज किए गए है. पुलिस की लगातार स्वामी के ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है.
पूछताछ के दौरान, 32 छात्राओं के बयान दर्ज किए गए, जिनमें से 17 ने आरोपी चैतन्यानंद सरस्वती द्वारा गाली-गलौज, अश्लील व्हाट्सएप मैसेज, और गलत तरीके से संपर्क बनाने का आरोप लगाया. पीड़ितों का आरोप है कि फैकल्टी/एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में काम कर रहीं महिलाओं ने उन पर आरोपी चैतन्यानंद सरस्वती की मांगें मानने का दबाव बनाया.