उत्तराखंड के आपदाग्रस्त क्षेत्रों का दौरा करने के बाद केंद्र की अंतर मंत्रालयी टीम ने बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की. इस दौरान  मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड को आपदा की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील राज्य बताते हुए कहा कि मानसून में राज्य को अतिवृष्टि के कारण भूस्खलन, बाढ़ और जलभराव जैसी गंभीर समस्याओं से जूझना पड़ता है.

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उन्होंने कहा कि इन घटनाओं में नुकसान को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों को मिलकर पूर्वानुमान प्रणाली को और अधिक विकसित करने की दिशा में कार्य करने की जरूरत है. धामी ने कहा कि इस वर्ष अत्यधिक वर्षा के कारण राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में जनहानि के साथ ही परिसंपत्तियों को भी अत्यधिक क्षति पहुंची है.

प्रभावी कार्ययोजना पर जोर

उन्होंने कहा कि राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में बादल फटने व भूस्खलन की घटनाओं से जमीन का स्थाई नुकसान होता है और ऐसी जगहों को दोबारा खेती-बाड़ी या निर्माण कार्यों के लिए प्रयुक्त करना संभव नहीं हो पाता है. धामी ने ऐसी जगहों के लिए प्रभावी कार्ययोजना बनाने पर भी बल दिया.

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सात सदस्यीय टीम ने किया दौरा

केंद्रीय गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव आर प्रसन्ना के नेतृत्व में सोमवार को यहां आयी सात सदस्यीय टीम ने उत्तरकाशी जिले के धराली-हर्षिल, चमोली के थराली, पौड़ी के सैंजी, बागेश्वर के कपकोट, रुद्रप्रयाग के छेनागाड़ तथा नैनीताल के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण कर क्षति का जायजा किया और इस दौरान आपदा प्रभावितों से मिली प्रतिक्रिया को टीम ने मुख्यमंत्री के साथ मुलाकात में साझा किया.

केंद्रीय टीम ने राज्य सरकार द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में संचालित राहत कार्यों को सराहनीय बताया. टीम ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा आपदा में मृतकों के परिजनों तथा पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त मकानों के मालिकों को पांच-पांच लाख रुपये की तात्कालिक सहायता दिए जाने से भी प्रभावितों को काफी राहत मिली है.

गर्भवती महिलाओं के लिए व्यवस्था की तारी

सभी गर्भवती महिलाओं का संपूर्ण डेटा संबंधित जिला प्रशासन के पास उपलब्ध होने एवं उनके स्वास्थ्य व सुरक्षित प्रसव की व्यवस्था के लिए निरंतर संपर्क रखने की पहल की भी केंद्रीय टीम ने सराहना की और कहा कि वह इस महत्वपूर्ण पहल को अन्य राज्यों में भी अपनाने के लिए अपना सुझाव देगी.