लखनऊ: उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी मुसीबत में फंस गये हैं. जांच एजेंसी सीबीआई ने यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा वक्फ संपत्तियों की अवैध तरीके से खरीद व बिक्री के मामले में रिजवी के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की हैं. प्रयागराज और कानपुर में वक्फ बोर्ड की सम्पत्तियों की कथित अवैध बिक्री, खरीद और हस्तांतरण के मामले की जांच सीबीआई ने अपने हाथों में ले ली है.





अब तक मिली जानकारी के मुताबिक,  दोनों एफआईआर में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी के अलावा लाभ पाने वाले नरेश कृष्ण सोमानी, विजय कृष्ण सोमानी, वक्फ बोर्ड के प्रशासनिक अधिकारी गुलाम सैयद रिजवी और निरीक्षक बाकर रजा को आरोपी बनाया गया है. सीबीआई ने प्रयागराज और लखनऊ में दर्ज एफआईआर के बाद ये कार्रवाई की है.


अधिकारियों ने बताया कि प्रयागराज का मामला 2016 में इमामबाड़ा गुलाम हैदर में कथित अतिक्रमण और दुकानों के अवैध निर्माण से संबंधित है. वहीं लखनऊ में दर्ज प्राथमिकी 2009 में कानपुर के स्वरूप नगर में कथित तौर पर जमीन हथियाने से जुड़ा है.


शिया वक्फ बोर्ड के खिलाफ मिली थी शिकायतें
अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री मोहसिन रजा ने शिया वक़्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन के विरुद्ध CBI के एफआईआर दर्ज करने पर कहा कि शिया वक़्फ़ बोर्ड के खिलाफ काफी शिकायतें मिली थीं. उन्होंने बताया कि पिछली सरकारों में हजारों करोड़ की वक़्फ़ संपत्ति बेची और बर्बाद की गई हैं. रजा ने कहा कि योगी सरकार दोषियों को जेल भेजने से लेकर, पीड़ितों के साथ न्याय कराने का काम करेगी.


इसके अलावा सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के विरुद्ध भी CBI ने एफआईआर दर्ज की है. वक़्फ़ संपत्तियों के अवैध स्थानन्तरण, ख़रीद-फ़रोख़्त, वक़्फ़ संपत्तियों को खुर्द- बुर्द करने तथा फ़र्ज़ी दस्तावेज़ तैयार कर बेची गई थी. भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस और सबका- साथ, सबका- विकास, सबका- विश्वास की नीति के तहत कार्रवाई की गई.


पिछली सरकारों सपा- बसपा ने वरिष्ठ धर्मगुरुओं, समाजसेवी और पीड़ितों की मांग नहीं सुनी थी, वक्फ संपत्तियां जमकर बर्बाद की गईं. योगी सरकार अब न्याय करेगी. मोहसिन रजा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार का मन और मंशा साफ़ है.


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