UP BJP President: साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने तैयारी शुरू कर दी है. हाल ही में पीएम मोदी की अध्यक्षता में दिल्ली में बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की इस पर एक बैठक भी हो चुकी है जिसमें यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और प्रदेश के दोनों डिप्टी शामिल हुए थे. लेकिन बीते 48 घंटे से यूपी की सियासत में हलचल तेज हो गई है.

कई मीडिया संस्थानों में खबर चलाई थी कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. एबीपी गंगा को मिली खबर के मुताबिक 29 जुलाई को चित्रकूट में शुरू हो रहे बीजेपी के प्रशिक्षण शिविर में स्वतंत्र देव सिंह बतौर प्रदेश अध्यक्ष शामिल होंगे. इसलिए लिहाज ये उनके इस्तीफे की बात पूरी तरह से सिर्फ अफवाह है. वैसे भी  बीजेपी में नए प्रदेश अध्यक्ष के कार्यभार संभालते ही पुराने का कार्यकाल खुद ही खत्म कर मान लिया जाता है.  स्वतंत्र देव का तीन वर्ष का कार्यकाल 19 जुलाई को खत्म हो चुका है लेकिन नए अध्यक्ष की घोषणा तक वो अध्यक्ष बने रहेंगे. 

लोकसभा चुनाव के लिहाज से किसी भी पार्टी के लिए यूपी अहम राज्य है. यहां पर लोकसभा की 80 सीटों के लिए चुनाव होता है. साल 2014 में जब बीजेपी की केंद्र में सरकार बनी थी बीजेपी के खाते में 71 सीटें आई थीं और उसमें अपना दल की 2 सीटें मिला देने पर 73 सीटें हो जाती हैं. बीजेपी को यूपी में 3,43,18,854 वोट मिले थे जबकि एसपी और बीएसपी को मिलाकर 3,39,03,161 वोट मिले थे. इस चुनाव में बीएसपी और आरएलडी का खाता नहीं खुला था. वहीं कांग्रेस भी सिर्फ अमेठी और रायबरेली की सीट जीत पाई थी. इस चुनाव में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेई थे. 

बात 2019 की करें तो बीजेपी को इस चुनाव में 62 सीटें मिली थीं जबकि सहयोगियों को मिला दें तो कुल 64 सीटें एनडीए के खाते में आई थीं. खास बात ये है कि इस चुनाव में एसपी, बीएसपी और आरएलडी ने मिलकर चुनाव लड़ा था. जिसमें बीएसपी के खाते में 10, सपा को 5 और आरएलडीए एक भी सीट नहीं जीत पाई थी. इस चुनाव में प्रदेश बीजेपी की कमान महेंद्रनाथ पांडेय के हाथों थी.

लेकिन सपा के गढ़ कहे जाने वाले रामपुर और आजमगढ़ में हुए लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी की जीत ने पार्टी नेताओं को राज्य की सभी 80 सीटों को जीतने का ख्वाब दिखा दिया है. हालांकि बीजेपी इससे पहले राजस्थान और गुजरात में लोकसभा की सभी सीटें जीतने का करिश्मा कर चुकी है और यूपी में वह 73 सीटें तक जीत चुकी है.

हालांकि यूपी में चुनाव के लिहाज से जातिगत समीकरणों को साधना भी टेढ़ी खीर है. अब देखना होगा कि स्वतंत्र देव सिंह की जगह बीजेपी किसी ओबीसी समुदाय के नेता को इस बार आगे करती है या फिर कोई ब्राह्मण चेहरा इस बार फिर लोकसभा चुनाव से पहले यूपी बीजेपी की कमान संभालेगा.

ब्राह्मण समुदाय के जिन नामों की चर्चा उसमें दिनेश शर्मा,  श्रीकांत शर्मा, हरीश द्विवेदी का नाम चल रहा है. वहीं ओबीसी समुदाय से केपी मौर्य, अश्विनी त्यागी, अमरपाल मौर्य और दलित वर्ग से रामशंकर कठेरिया का भी नाम आगे चल रहा है. गौरतलब है कि प्रदेश में गैर यादव और गैर जाटवों का बड़ा वोटबैंक बीजेपी के पाले में शिफ्ट हो गया है. इसका नतीजा बीते तीन चुनावों से देखा जा सकता है. 

ईसीबी समुदाय जिनका कि वोट प्रतिशत करीब 40 फीसदी तक है, इस वर्ग के भी कई बड़े चेहरे बीजेपी के साथ हैं. दूसरी ओर इसी वोट बैंक पर बड़ा दावा करने वाले ओपी राजभर का भी गठबंधन सपा से टूट चुका है और बीएसपी और कांग्रेस ने  भी उनके लिए दरवाजे बंद कर दिए हैं. फिलहाल राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार का समर्थन करने पर सुरक्षा जरूर दे दी गई है. नए बीजेपी प्रदेश के सामने पहले से बने और नए समीकरणों को साधने की चुनौती होगी. 

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