उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में इन दोनों कथित पेपर लीक मामले में बेरोजगार संगठन लगातार प्रदर्शन कर रहा है. अभी संगठन के प्रदर्शन पर सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि धीरे-धीरे धरना स्थल पर अराजकता का माहौल बनता जा रहा है. अब इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी ने भी सवाल खड़े किए हैं. बीजेपी ने कहा कि, प्रदर्शन करना, धरना देना लोकतंत्र में अपनी आवाज उठाना बिल्कुल सही है लेकिन किसी भी प्रदर्शन को राज्य सरकार और लोगों की सुरक्षा से खिलवाड़ करने का हक नहीं है. धरना स्थल पर जिस तरह के नारे लगाए जा रहे हैं, जिस तरह की बातें की जा रही हैं उससे एक डर का माहौल बनता जा रहा है.
"प्रदर्शन के बहाने राजनीति को खाद-पानी देने का किया जा रहा काम"
बीजेपी ने कहा कि, जब यह धरना शुरू हुआ था तो पेपर लीक जांच की मांग की जा रही थी, जब राज्य सरकार ने इस मामले में विशेष जांच दल बना दिया तो उसके बाद लोग सीबीआई की मांग की जाने लगी. यह प्रदर्शन छात्रों के हित के लिए नहीं किया जा रहा है, बल्कि यहां मौजूद कुछ ऐसे अराजक तत्व हैं जो अपनी राजनीति को खाद्य पानी देने का काम कर रहे हैं. वह इस प्रदर्शन को आगे बढ़ा रहे हैं.
नहीं बख्शे जाएंगे नकल माफिया- सीएम धामी
वहीं सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले पर स्पष्ट कहा है कि, किसी भी नकल माफिया को बख्शा नहीं जाएगा, उनके खिलाफ सख्ती से कार्रवाई की जाएगी. नकल विरोधी कानून के तहत ही आरोपियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं, वहीं पिछले जितने भी नकल या पेपर लीक के मामले हुए उनमें सभी को जेल भेजा जा चुका है. हमारी सरकार छात्रों के हित में काम कर रही है.
अब तक पेपर लीक मामले में हुई ये कार्रवाई
आपको बता दें कि, इस आंदोलन में प्रदर्शनकारियों की तरफ से जो मांग की जा रही थी, सरकार उन मांगों को पहले ही मान चुकी है. इस मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई है. साथ ही आरोपियों की गिरफ्तारी और चार अधिकारियों का सस्पेंशन, रिजल्ट पर रोक आदि कार्रवाई शामिल है. जानकारी के अनुसार, शुक्रवार 25 सितंबर को देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल और देहरादून के एसपी अजय सिंह ने धरना स्थल पर पहुंचे.अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को समझाने का प्रयास किया है लेकिन प्रदर्शनकारियों ने धरना समाप्त करने से साफ इनकार कर दिया.