बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के आरोपों पर पलटवार किया और कहा कि उनकी सदन को चलाने में कोई दिलचस्पी नहीं है. ना सदन में बैठने और ना सदन में बोलने में उनकी दिलचस्‍पी है. वे नाम के नेता प्रतिपक्ष हैं. उनके सदस्य शोर शराबा की जगह अपनी चेयर पर आराम से बैठे. 

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सोमवार को मानसून सत्र के पहले दिन ही राहुल गांधी ने सदन में उन्हें बोलने नहीं देने का आरोप लगाया, जिस पर जगदंबिका पाल ने कहा कि हम सदन को चलाना चाहते हैं. शून्‍यकाल में तमाम सदस्‍य के बैलेट से आए हैं. आपकी पार्टी के लोग शून्‍यकाल में है. मैं उन्‍हें बोलने देना चाहता हूं. अपने सदस्‍यों से कहें कि वो हंगामा करने की जगह अपनी जगह पर बैठें.

राहुल गांधी के आरोपों पर पलटवार उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस और विपक्षी पार्टियां जो विषय उठाना चाहती है हम उस पर चर्चा के लिए तैयार हैं. एक तरफ संसदीय कार्यमंत्री, रक्षा मंत्री और स्‍पीकर साहब ने खुद प्रश्‍नकाल में कहा कि आप लोग सदन चलने दीजिए. प्रश्‍नकाल तो सभी सांसदों का होता है. चाहे वे सत्‍ता पक्ष के हों या प्रतिपक्ष के हों. 

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सरकार को जवाब देने के लिए बाध्‍य होना पड़ता है. कटघरे में खड़ा कर सकते हैं. लेकिन, इसके बावजूद भी उनके इशारे पर लोग हंगामा करते रहे. सदन नहीं चल रहा था. जिसकी वजह से मजबूरन स्‍थगित करना पड़ा. उन्‍होंने कहा था कि सदन को सुचारु रूप से चलने दीजिए. मैं आपको अवसर दूंगा.

ऑपरेशन सिंदूर पर कही ये बात ऑपरेशन सिंदूर को लेकर उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री जी ने स्‍वयं कहा कि पूरी दुनिया ने भारत की सेना के पराक्रम को देखा है. किस तरह से टारगेटेड लक्ष्‍य को हमने 100 प्रतिशत मात्र 22 मिनट में हासिल किया. इनके पास कोई मुद्दा नहीं है. इसलिए वो सदन को बाधित करते हैं. उनके पास एजेंडा होता तो वे  चर्चा करते, ना कि सदन के बाहर नारे लगाते. 

स्वामी प्रसाद मौर्य को बताया मानसिक रूप से विक्षिप्तजगदंबिका पाल ने इस दौरान यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्‍वामी प्रसाद मौर्या को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि कुछ लोग मानसिक रूप से विक्षिप्‍त और दिवालिया हो गए हैं. वे हिन्‍दू धर्म में पैदा हुए हैं और श्रावण मास में भगवान शंकर के भक्‍तों को गाली देकर अपमानित कर रहे हैं. लेकिन दूसरे धर्मों पर कुछ नहीं बोलते. 

आज वो भगवान शिव के भक्‍तों को गुंडा और अराजक तत्‍व कह रहे हैं. निश्चित तौर पर वे मानसिक रूप से विक्षिप्‍त हो गए हैं. ऐसे लोगों के खिलाफ तो कार्रवाई करनी चाहिए.