लखनऊ, एबीपी गंगा। साल 2019 का लोकसभा चुनाव कई मायनों में खास होगा। एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिर से पीएम की कुर्सी पर पहुंचने की जुगत में होंगे तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा लगातार दूसरी बार केंद्र में सरकार बनाकर रिकॉर्ड बनाना चाहेगी। हालांकि ऐसा पहली बार होगा जब पार्टी के पास अपना प्रिय नेता अटल बिहारी वाजपेयी नहीं होगा।
बीते साल पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद भाजपा पहली बार उनके बिना लोकसभा चुनाव में उतरी है। बात अगर यूपी की राजधानी लखनऊ की हो तो यहां अटल फैक्टर और भी खास हो जाता है। दरअसल, आजादी के बाद ऐसा पहली बार होगा जब लखनऊ बिना अटल के ही चुनाव का साक्षी बनेगा। हालांकि, इसके बावजूद भाजपा अटल मैजिक के सहारे लखनऊ में चुनावी नैय्या पार लगाने की कोशिश में होगी। भाजपा की कोशिश यह भी होगी की इस बार जीत के अंतर को और बढाया जाए।
लखनऊ से अटल का नाता मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी का लखनऊ से गहरा नाता रहा है। किशोरावस्था के दौरान ही अटल का लखनऊ से ऐसा नाता जुड़ा कि फिर वो यही के होकर रह गए। बाद में उन्होंने लखनऊ को अपनी कर्मभूमि भी बनाया। लखनऊ की जनता ने भी अटल को खूब प्यार दिया। अटल बिहारी लगातार पांच बार यहां से जीतकर संसद पहुंचे। उन्होंने अपनी जिंदगी का पहली और आखिरी चुनाव लखनऊ में ही लड़ा। यहीं से जीकर वो देश के प्रधानमंत्री भी बने। हालांकि जीत से पहले अटल को यहां से दो बार हार का मुंह भी देखना पड़ा।
अटल की वजह से ही लखनऊ भाजपा का मजबूत किला बना। अटल के राजनीति से संन्यास लेने के बाद 2009 में उनके मित्र लालजी टंडन यहां से चुनाव लड़े और जीते। वहीं 2014 में भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह भी चुनाव जीतकर संसद पहुंचे।