BHU के ज्योतिष विभाग के शोध विद्यार्थी विवाह योग मिलन को लेकर अपना थीसिस कंप्लीट कर रहे हैं. इस दौरान करीब 300 आंकड़ों को इकट्ठा किया जा रहा है. इसका प्रमुख आधार यह है कि जिनकी कुंडली गुण ग्रह मिल रहे हैं उनका दांपत्य जीवन सुखमय है.
इसके विपरीत कुंडली मिलान न होने के बाद भी विवाह करने वालों के जीवन में अशांति है. इसी विषय को लेकर एबीपी न्यूज ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर और ज्योतिष में शोध करने वाले छात्रों से खास बातचीत की है.
कुंडलिया न मिलने पर भी विवाह करने वाले सुखी नहीं
BHU ज्योतिष विभाग के प्रो. विनय कुमार पाण्डेय ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में बताया कि - हमारे ज्योतिष शास्त्र में ग्रह और कुंडली मिलान एक विषय है जो मुहूर्त और कुंडली के अंतर्गत आता है. जिसमें 1 से लेकर 36 गुण होते है. और विवाह के दौरान उसका मिलान करने की परंपरा है. माना जाता है कि विवाह के लिए वर वधु के अधिक गुण मिलने से दांपत्य जीवन में सुख समृद्धि शांति बनी रहती है. मिलापक दो भाग में होता है जिसमें कन्या और वर पक्ष के अलग-अलग विषयों को सुखद दांपत्य जीवन के लिए विवाह के पूर्व ही मिलाया जाता है. हमारे शोध विद्यार्थियों द्वारा कुछ डाटा इकट्ठा किया गया है जिसके अनुसार जिन लोगों की कुंडलिया मिली उनके दांपत्य जीवन में सुख शांति समृद्धि, कुंडली नहीं मिलने वाले के अनुपात में बहुत ज्यादा है.
37% जिनकी कुंडलिया नहीं मिल रही है वह सुखी नहीं है जबकि इसके ही विपरीत 67 % वह लोग हैं जो कुंडली मिलान करने के बाद सुखी दांपत्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं. इन आंकड़ों का सीधा तात्पर्य है कि आधुनिक युग में भी भारतीय परंपरा के तहत अगर हिंदू रीति रिवाज में कोई विवाह करता है तो उसे जरूर कुंडली मिलान के बाद ही विवाह करना चाहिए.
कुंडली मिलान के बाद सुखमय जीवन, इसकी प्रामाणिकता क्या ?
आधुनिक युग में इस विषय के आधार पर ही विवाह कर पाना कितना संभव है. इन सवालों का जवाब देते हुए प्रो. विनय कुमार पांडे ने कहा कि - दोनों के विचार एक तरह के हैं, इसके लिए कुंडली का परीक्षण आवश्यक है. हमने कभी भी यह नहीं कहा कि किसी अन्य परंपरा में कोई भी दोष है, या वर वधू में अगर कुंडली का मिलान नहीं हो पा रहा है तो किसी में दोष है. लेकिन भारतीय परंपरा में जो श्रृंखला है तो उसका यह स्वरूप है. पहले तो स्त्रियां सामान्य तौर पर घरों में होती थी, बच्चों के लालन पोषण और गृहस्थी में ज्यादा भागीदार होती थी, लेकिन आज हर क्षेत्र में उनकी भागीदारी है. पुरुष के बराबर ही है. ऐसे में दोनों के वैचारिक मनभेद देखने को मिलते हैं. इन परिस्थितियों में कुंडली का परीक्षण आवश्यक है.
वहीं काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के शोध छात्रों ने कहा कि भारतीय परंपरा के तहत होने वाले विवाह में कई विधि है, उसमें कुंडली गुण का मिलान भी शामिल है. और हम समाज में देखते भी हैं कि अगर जो कोई भी इन परंपराओं का निर्वहन नहीं करता है उनके दांपत्य जीवन में वह सुख शांति नहीं रहती .