बस्ती पुलिस ने क्रिप्टो करेंसी के जरिए किए जा रहे एक बड़े विदेशी साइबर फ्रॉड का पर्दाफाश किया है. इस खुलासे के साथ ही, देशभर में फैले 4 करोड़ से अधिक की ठगी के एक संगठित राष्ट्रीय नेक्सस का भंडाफोड़ हुआ है. इस गिरोह के 6 आरोपी सुजीत, निपेंद्र, रामनाथ, अश्विनी, निखिल और प्रशांत को कोतवाली व लालगंज थाने की पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन चलाकर देर रात बस्ती से गिरफ्तार किया है.
बस्ती रेंज के पुलिस उप महानिरीक्षक संजीव त्यागी ने बताया कि यह गिरोह उत्तर प्रदेश में बहुत गहरे तक अपनी जड़ें जमा चुका है. यह एक इंटरस्टेट गैंग है, जिसका मास्टरमाइंड देश के बाहर बैठकर पूरे ठगी तंत्र का संचालन करता था. साइबर क्राइम की दुनिया में बस्ती पुलिस की यह बड़ी उपलब्धि है.
पूछताछ में 38 फर्जी बैंक खातों का खुलासा
अभी तक की पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि लगभग फर्जी 38 बैंक खाते खोले गए है, जिसका उपयोग देश भर में फ्रॉड में मिलने वाली राशि के कलेक्शन में किया जाता था. अभी जांच का दायरा और बढ़ेगा और इस फ्रॉड के लंबे नेटवर्क की जानकारी सामने आएगी.
ऐसे हुआ पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश
बताया गया कि कोतवाली थाना क्षेत्र के प्रिंस चौधरी ने नवंबर माह में पहला केस दर्ज कराया जिसमें फ्रॉड गैंग के सदस्यों ने फर्जी बैंक खाते खोले और पीड़ितों को उनके खाते का कोई डॉक्यूमेंट नहीं उपलब्ध कराया. इसके बाद और केस लालगंज थाना क्षेत्र के निवासी दिनेश कुमार ने दर्ज कराया, जिसमें आरोपियों ने फ्री में खाता खोलने का लालच दिया और पासबुक व एटीएम मांगा तो उसके साथ बदसलूकी की गई.
वहीं तीसरा मुकदमा सोनहा थाना क्षेत्र के रमेश मौर्य ने दर्ज कराया, जिन्होंने आरोप लगाया कि इलाके के कुछ लोग सरकारी योजना का लाभ देने का झांसा दे रहे और लोगों के डॉक्यूमेंट लेकर फ्री में खाते खोल रहे, जिसकी शिकायत हुई तो पुलिस ने कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए तीनों केस की जांच एक दिशा में शुरू किया तो पूर्वांचल के इस बड़े साइबर फ्रॉड करने वाले गैंग का पर्दाफाश हो गया.
देशभर में 4 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी को दिया अंजाम
पुलिस के अनुसार, इस गैंग ने देशभर में 4 करोड़ से ज्यादा की धोखाधड़ी को अंजाम दिया है. जांच में पता चला है कि इस फ्रॉड का नेटवर्क देशभर के 74 अलग-अलग मामलों से जुड़ा है, जिससे एक संगठित राष्ट्रीय धोखाधड़ी चेन का खुलासा हुआ है. गिरफ्तार अभियुक्तों ने कबूल किया है कि काले धन का सारा लेनदेन एक फॉर्नर (विदेशी नागरिक) के जरिए संचालित होता था, जिसमें मुख्य माध्यम क्रिप्टो करेंसी थी.
पुलिस ने 6 आरोपियों को किया गिरफ्तार
डीआईजी संजीव त्यागी ने बताया कि इस गैंग के मुख्य हथियार म्यूल सिम और फर्जी पहचान पत्र थे. अब तक 6 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया जा चुका है. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि गिरोह ठगी का पूरा खेल महिलाओं के नाम पर चल रही सिम का इस्तेमाल करके संचालित करता था.
बैंककर्मी करता था जालसाजों की मदद
जांच में सबसे हैरान करने वाला खुलासा बैंक से जुड़ा है. एक बैंककर्मी हरिओम दुबे ही इस गैंग को अंदरूनी मदद देता था. यह बैंककर्मी KYC फॉर्म से ग्राहकों के नंबर और विवरण उठाकर, उन्हें कमीशन का लालच देकर म्यूल खाते (किराए के खाते) खुलवाता था. इन खातों का उपयोग ठगी के पैसों के गोलमाल के लिए किया जाता था.
उन्होंने कहा कि हरिओम से अभी पुलिस पूछताछ कर रही है जिससे अभी और बड़े खुलासे होने बाकी है. इस जांच में गैंग से जुड़े 38 बैंक खाते सामने आए हैं, जो पैसे की गोलमाल के एक बड़े नेटवर्क को उजागर करते हैं. डीआईजी ने इस सफल ऑपरेशन के लिए ASP श्यामाकांत, CO स्वर्णिमा सिंह, और CO SB तिवारी की टीम की सराहना की. फिलहाल, पुलिस इस इंटरस्टेट गैंग के देश से बाहर बैठे मास्टरमाइंड तक पहुंचने के प्रयास में जुट गई है.