UP Madrasa News: उत्तर प्रदेश के बस्ती (Basti) में एक ऐसे मदरसे का खुलासा हुआ है, जो 112 साल पुराना है और आज तक इसकी मान्यता नहीं हुई है. इस मदरसे में बाहर से फंडिंग होती है और फिर इसका संचालन होता है. सुनकर हैरानी होगी कि जिले में बिना मान्यता मदरसों की संख्या मान्यता प्राप्त मदरसों से तीन गुना अधिक है. जिले में मान्यता प्राप्त मदरसों की संख्या 122 है तो गैर मान्यता की संख्या 386 है. इनमें एक मदरसा तो पिछले 112 सालों से निरंतर बिना मान्यता के संचालित हो रहा है.

इस मदरसे के प्रबंधक से मान्यता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मान्यता की प्रक्रिया चल रही है. यह मदरसा तहसील रुधौली के ग्राम हनुमानगंज में स्थित है और मदरसे का नाम मदरसा अरबिया है. इसकी स्थापना सन 1912 में हुई थी और वर्तमान में इसका संचालन गांव की कमेटी कर रही है. यह निजी भूमि पर बना है. 92 बच्चे इसमें तालीम ले रहे हैं, जिन्हें मजहबी और हिंदी पढ़ाई जाती है. मदरसे में शिक्षकों की संख्या दो है. खास बात यह है कि यह मदरसा चंदे से चलता है.

भानपुर में बिना मान्यता के 131 मदरसे हो रहे संचालित

इतना ही नहीं लगभग 50 से अधिक ऐसे मदरसे हैं, जो 40, 50, 60, 70, 80 साल पुराने हैं, लेकिन इनकी मान्यता नहीं है. सबसे अधिक भानपुर तहसील में 131, हरैया में 100, रुदौली में 89 और सदर में 67 बिना मान्यता के मदरसे संचालित हो रहे हैं. मदरसों के सर्वे कराने के फैसले के बाद लगने लगा था कि अब सरकार गैर मान्यता प्राप्त फंडिंग वाले मदरसों को लेकर कोई ठोस निर्णय लेगी, लेकिन लगभग आठ माह होने को है, कार्रवाई की पत्रावली अभी तक लटकी हुई है.

वहीं मदरसों के मान्यता न लेने के पीछे जो बातें छानबीन में सामने आई, वह काफी चौंकाने वाला रही. इसमें दो मुख्य कारण हैं. पहला अगर ये सभी मान्यता लेंगे तो यह सरकार के नियम कानून के दायरे में आ जाएंगे, तब ये अपनी मर्जी से संचालन नहीं कर पाएंगे. दूसरा जो सबसे महत्वपूर्ण माना गया, वह यह कि अगर यह मान्यता लेते हैं तो इनकी फंडिंग नहीं हो पाएगी और अगर होगी भी तो जांच के दायरे में आ जाएंगे, हिसाब-किताब रखना होगा, ऑडिट कराना होगा.

पिछले पांच सालों से मान्यता की प्रक्रिया बंद

जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी किसी मदरसे को मान्यता नहीं दे सकता, यह अभी अधिकार रजिस्टार के पास सुरक्षित है. ये अधिकारी बिना मान्यता के संचालित हो रहे मदरसे को न बंद करवा सकते हैं और न उसके खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकते हैं. यहां तक की जांच भी नहीं कर सकते. हालत यह है कि उपनिदेशक अल्पसंख्यक को भी सीधी कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है. सरकार ने ऐसी व्यवस्था शायद ही किसी सरकारी विभाग में की होगी. वैसे भी जब से ऑनलाइन के जरिए मान्यता देने की प्रक्रिया शुरू हुई तब से पूरी तरह मान्यता की कार्यवाही बंद है, लगभग 5 साल से मान्यता नहीं हो रही है.

इस पूरे मामले को लेकर बस्ती मंडल के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के उप निदेशक विजय यादव से बात की गई तो उन्होंने बताया कि शासन से जितने भी अवैध मदरसों की जानकारी मांगी है, उसकी लिस्ट भेज दी गई है. रूधौली के हनुमानगंज में 100 साल पुराने एक मदरसे की जांच की है, जिसकी मान्यता नहीं है और शासन को इससे अवगत करवा दिया गया है, जो भी कार्रवाई होनी है वो शासन स्तर से ही होगी.

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