गोरखपुर, एबीपी गंगा। राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर में शातिर चोरों के हौसले बुलंद हैं। चोरों ने बैंक के 16 ताले खोलकर आठ मिनट के भीतर 20 लाख रुपये के गहने और 3 लाख 61 हजार रुपए की नगदी पर हाथ साफ कर लिया। चपरासी पर अधिकारियों का अतिविश्वास इस घटना की वजह बना। हालांकि पुलिस ने 24 घंटे के अंदर ही तीन चोरों को गिरफ्तार कर गहने और नगदी बरामद कर ली।
गोरखपुर के पुलिस लाइन्स सभागार में एसपी सिटी डा. कौस्तुभ ने 24 घंटे के भीतर ही चोरी की घटना का खुलासा कर दिया। उन्होंने बताया कि कांट्रैक्ट पर तैनात चपरासी पर अतिविश्वास ही घटना का सबब बना। चपरासी पर अधिकारियों ने इतना विश्वास कर लिया कि उसे बैंक की चाभी सौंप दी। वो कैश गिनवाने के साथ उसे रखने के लिए स्ट्रांग रूम तक जाता था। पांच साल में उसने बैंक के अधिकारियों का इतना विश्वास जीत लिया कि किसी को भी इस बात का अहसास नहीं था, कि ये लापरवाही बड़ी घटना का सबब बन जाएगी।
एसपी ने जानकारी देते हुये बताया कि पुलिस को सोमवार की सुबह कोतवाली इलाके के चरनलाल चौक पर स्थित इलाहाबाद बैंक से चोरी की घटना की सूचना दी गई। पुलिस जब मौके पर पहुंची, तो पता चला कि बैंक से लॉकर तक के कुल 16 तालों को खोलने के बाद कस्टमर के 20 लाख के जेवर और 3.60 लाख रुपए नकद चोरी कर लिया गया है। पुलिस को उसी समय बैंक के कर्मचारी पर शक हो गया था। क्योंकि बैंक के 16 तालों को खोलकर चोरी की घटना को अंजाम देना इतना आसान नहीं थी। इस घटना को वही अंजाम दे सकता था, जिसे चाबियों के बारे में अच्छी जानकारी हो। हालांकि पुलिस अभी इस मामले में अधिकारियों से भी पूछताछ कर रही है। फिलहाल तीनों ने चोरी की घटना को अंजाम देने की बात कबूल कर ली है।
पुलिस ने बैंक के अधिकारियों के साथ तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के साथ अलग-अलग पूछताछ की। उसके बाद पुलिस ने सभी को जाने दिया। उसी समय पुलिस को बैंक में पिछले पांच साल से काम कर रहे चपरासी चिलुआताल इलाके के उतरासोत के रहने वाले राम विशाल निषाद पर शक हो गया। पुलिस को उससे माल भी बरामद करना था, इसलिए पुलिस उसके पीछे लग गई। जब मंगलवार यानी आज दोपहर वो चोरी की घटना को अंजाम देने वाले उसके साथी तिवारीपुर इलाके के मंझरिया के रहने वाले अजय कुमार निषाद और उसके भाई रंजीत निषाद को गिरफ्तार कर लिया।
एसपी सिटी ने बताया कि पूछताछ में ही कई सवालों के जवाब में विरोधाभास होने के कारण पुलिस को उसके ऊपर शक हो गया था। उन्होंने बताया कि बैंक की चाबियों से कस्टमर के लॉकर को खोलना इतना आसान नहीं होता है। ये कोई जानकार ही कर सकता है। इस घटना में भी बैंक के पास रखी मास्टर चाबियों का इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने बताया कि पुलिस ने मंगलवार को तीनों आरोपियों को कोतवाली इलाके के तरंग क्रासिंग के पास से उस समय गिरफ्तार कर लिया, जब वे चोरी का सामान लेकर भागने की फिराक में थे। पुलिस ने इस मामले में आईपीसी की धारा 457, 380, 411 आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज किया था। पुलिस ने आरोपियों के पास से 3 लाख 61 हजार 500 रुपए नकद, 20 लाख के सोने के जेवरात, 1 डीबीआर, काले रंग का बैंक, लाल रंग का बैंक, पीले रंग का बैंक का दो ताला, चोरी की घटना में इस्तेमाल की गई एक बाइक बरामद कर लिया।
आरोपी चपरासी रामविशाल और अजय ने बताया कि वे बैंक खुलने के समय से 8 मिनट पहले पहुंच गए थे। बैंक की चाबी रामविशाल के पास ही रहती थी। उन्होंने बैंक के 4 और स्ट्रांग रूम सहित लॉकर के कुल 12 तालों को खोलने के बाद चोरी की घटना को अंजाम दिया। चोरी का प्लान अजय और रामविशाल ने मिलकर बनाया था। शनिवार और रविवार को बैंक बंद होने के कारण दोनों ने सोमवार को बैंक खुलने के नियत समय से 8 मिनट पहले पहुंचकर घटना को अंजाम दे दिया। चोरी का माल लेकर अजय और उसका भाई रंजीत फरार हो गए। उसके कुछ ही देर बाद बैंक के अधिकारी और कर्मचारी पहुंचे। उसी समय रामविशाल ने चोरी की घटना की जानकारी बैंक के अधिकारियों और पुलिस को दी।