Bahraich News: कतर्नियाघाट वन में शिकारियों के फंदे में फंसकर घायल हुई एक बाघिन को वन विभाग ने कैमरा ट्रैपिंग व हाथियों की मदद से 55 दिनों में ढूंढ निकाला और उसे बेहोश कर इलाज करने के बाद बुधवार शाम जंगल में छोड़ दिया गया.प्रभागीय वनाधिकारी आकाशदीप बधावन ने बताया कि कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के सुजौली रेंज में कैमरा ट्रैप निरीक्षण में सात अप्रैल को एक घायल बाघिन दिखी थी. बाघिन की गर्दन पर जख्म था और गले के चारों ओर क्लच वायर फंसा था.


क्या है पूरा मामला?


घायल बाघिन के निश्चित स्थान का पता लगाने के लिए विभाग ने उसके आवागमन वाले इलाके में 10 कैमरे लगाये और वन अधिकारियों की निगरानी में विशेषज्ञों व पशु चिकित्सकों की तीन टीमें गठित की गईं. बधावन ने बताया कि कैमरा ट्रैप निष्कर्ष के आधार पर हथिनी जयमाला व चंपाकली की मदद से गश्त लगाया गया और 55 दिनों की निगरानी के बाद बुधवार शाम सुजौली वन रेंज के कोलिया गौड़ी जंगल में बाघिन की तलाश पूरी हुई.


बाद में जंगल में छोड़ा गया


वनाधिकारी ने बताया कि ट्रंकुलाइजर गन की रेंज में लाने के बाद 15 मीटर की दूरी से उसे बेहोश किया गया. दुधवा कतर्निया टाइगर रिजर्व के फील्ड निदेशक संजय पाठक की मौजूदगी में पशु चिकित्सकों द्वारा बाघिन के गले में फंसा तार निकाला गया. इलाज के बाद उसे जंगल में छोड़ दिया गया. गौरतलब है कि वन विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद कतर्नियाघाट जंगल व जिले के अन्य जंगली इलाकों में बीते आठ माह के दौरान दो बाघ और दो तेंदुए अलग-अलग कारणों से मृत पाए गए.


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