भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के अवसर पर उनकी स्मृति में आयोजित एक कार्यक्रम में कवि कुमार विश्वास ने समाज में आ रहे बदलावों को लेकर खुलकर अपनी बात रखी. उनके बयान को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है.
'युवाओं की पसंद में हो रहा बदलाव'
कुमार विश्वास ने अपने बयान में कहा, "यहां नए साल पर पहली बार ऐसा हो रहा है कि आगरा में जो एक कब्रिस्तान है सफेद रंग का, उसे देखने जाने की बजाय युवा ज्यादा मात्रा में आगरा की बजाय अयोध्या जी जा रहे हैं, वृंदावन जा रहे हैं. परिवर्तन हो रहा है." उन्होंने साफ कहा कि समाज में जो बदलाव दिख रहा है, वह स्वाभाविक है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
धर्मनिरपेक्षता और राम पर सवाल
अपने संबोधन को आगे बढ़ाते हुए कुमार विश्वास ने कहा, "बदलते में देर लगेगी और तर्क का उत्तर दिया जा सकता है, कुतर्क का नहीं दिया जा सकता. जिनको लगता है कि धर्मनिरपेक्ष देश है, इसमें इतना राम क्यों? इतनी रामनवमी क्यों? धर्मनिरपेक्ष है, तभी तो सब चल रहा है." उन्होंने जोर देकर कहा कि धर्मनिरपेक्षता का मतलब किसी एक आस्था को दबाना नहीं, बल्कि सभी को अपने-अपने विश्वास के साथ जीने की आजादी देना है.
कुमार विश्वास के इस बयान के बाद सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में बहस शुरू हो गई है. समर्थकों का कहना है कि उन्होंने जमीनी हकीकत को शब्दों में रखा है, जबकि आलोचक इसे एक खास विचारधारा से जोड़कर देख रहे हैं.
बता दें इसी मंच से कुमार विश्वास ने सरदार पटेल को लेकर कांग्रेस पर भी तंज कसा था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपने ही परिवार और नामों में उलझी रही. उन्होंने कहा कि तुम तो अपने नानाजी, पापाजी, मम्मीजी, चाचीजी में ही लगे रहे. पटेल बाहर बैठे थे तो कोई पूछने वाला ही नहीं था. कुमार विश्वास का इशारा कांग्रेस के परिवारवाद की ओर था, जिस पर वे पहले भी कई बार सवाल उठा चुके हैं.