Sharad Purnima 2023: सनातन परंपरा में शरद पूर्णिमा तिथि को बड़ा प्रमुख माना गया है. अश्विन मास के शुक्ल पक्ष तिथि में पड़ने वाले पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है. इस दौरान चंद्रमा अपने सभी 16 कलाओं में पूर्ण होते हैं. वैदिक परंपरा के साथ-साथ वर्तमान में भी लोग शरद पूर्णिमा के दिन अनेक असाध्य रोग से शरीर को मुक्ति दिलाने के लिए और अपने आप को स्वस्थ करने के लिए अनुष्ठान करते हैं. इस बार शरद पूर्णिमा की तिथि के दिन ही चंद्र ग्रहण भी लग रहा है, जिसकी वजह से शरद पूर्णिमा के दिन रखे जाने वाले खीर को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति में हैं.


काशी के प्राचीन पीढ़ी से ज्योतिष विद्या के जानकार पंडित संजय उपाध्याय ने एबीपी लाइव से बातचीत के दौरान बताया कि सनातन संस्कृति में शरद पूर्णिमा को बड़ी ही विशेष तिथि माना गया है. इस दौरान चंद्रमा अपने 16 कलाओं में पूर्ण होते हैं. चंद्रमा विशेष तौर पर शीतलता और आरोग्य प्रदान करने के लिए जाने जाते हैं और इसीलिए शरद पूर्णिमा के दिन खुले आसमान के नीचे खीर रखने की परंपरा निभाई जाती है. अगले दिन इस खीर को प्रसाद के रूप में लोग ग्रहण करते हैं और मान्यता है कि यह अमृत के समान होता है, जिसे खाने से स्वास्थ्य लाभ होता है. ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन खीर खाने से श्वास, गले और पेट की बीमारी से मुक्ति मिलती है.


2:45 के बाद खीर रखना होगा उचित


उनका कहना है कि इस बार 28 और 29 अक्टूबर के बीच मध्य रात्रि को ही शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लग रहा है. चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर की रात के बाद 29 अक्टूबर वाली तारीख को 1:05 से 2:24 तक लगेगा. यानी चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 1 घंटे 44 मिनट की है. जबकि सूतक काल 9 घंटे पहले ही लग जाएगा. यह साल का अंतिम चंद्र ग्रहण होगा. इसलिए श्रद्धालुओं को विशेष तौर पर 2:45 के बाद ही खुले आसमान के नीचे खीर रखना लाभप्रद होगा. 


चंद्र ग्रहण के दौरान भगवान को करें याद


उन्होंने बताया कि चंद्र ग्रहण के दौरान अधिक से अधिक भगवान का स्मरण और भजन करना चाहिए. काशी सहित अन्य धार्मिक स्थलों के शिवालय व मंदिर के कपाट पूरी तरह बंद रहेंगे. इसके अलावा संजय उपाध्याय ने यह भी बताया कि इस चंद्र ग्रहण का सबसे ज्यादा असर कन्या, तुला, मेष, मकर, मीन और वृष राशि पर पड़ेगा. जिन्हें सतर्क रहने की आवश्यकता है. चंद्र ग्रहण पर विशेष तौर पर दान करना चाहिए. इसके अलावा सभी को चंद्र ग्रहण की अवधि के दौरान भगवान का अधिक से अधिक सुमिरन करना चाहिए.


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