UP News: प्राविधिक शिक्षा विभाग में हुए घोटाले की चर्चा के बीच रविवार को समाजवादी पार्टी विधायक पल्लवी पटेल ने लंबे समय तक आशीष पटेल के ओएसडी रहे राजकुमार पटेल के साथ साझा प्रेस कांफ्रेंस की. इसमें उन्होंने तमाम खुलासे किये. पल्लवी पटेल ने कहा कि राजबहादुर पटेल जी आशीष पटेल के लंबे समय तक ओएसडी रहे लेकिन पेशे से शिक्षक हैं. लोगों को पढ़ाते हैं और प्राविधिक शिक्षा विभाग में जिस भ्रष्टाचार की चर्चा मैंने की है, वह भ्रष्टाचार जिस दिन से शुरू हुआ है राज बहादुर पटेल जी ने उसमें अपने ऑब्जेक्शन लगाए हैं. मंत्री को लगातार बताते रहे कि यह नियम विरुद्ध है और एक बड़े पैमाने पर इसमें वित्तीय अनिमियता हुई हैं.

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विधायक ने कहा कि लेकिन जब उनकी सुनी नहीं गई तो ये उनके ओएसडी के पद से हट गए, लेकिन अब इनको लगातार धमकी दी जा रही है. इनको चुप रहने के लिए कहा जा रहा है और 1 जनवरी 2025 को इनको कारण बताओ नोटिस दिया गया है. साथ ही तत्काल प्रभाव से इनका ट्रांसफर रामपुर किया गया है. पल्लवी ने कहा कि राजकुमार के पास मौके थे. अगर यह चाहते तो यह भी उस भ्रष्टाचार, लूट और चोरी का हिस्सा बन सकते थे. ये सरदार पटेल की असली वंशज हैं. इसलिए ये लगातार सच्चाई और ईमानदारी से लड़ाई लड़ रहे हैं. भाजपा को अल्टीमेटम दे रही हैं कि अगर उनके समाज के लोगों को प्रताड़ित किया गया तो बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी.

पूर्व OSD ने किया चिट्ठी के जरिए जानकारी देने का दावाराजबहादुर पटेल ने अपनी बात रखते हुए कहा कि जब हमें नियम विरोध डीपीसी का पता चला तो हमने मंत्री को कहा कि यह नियम विरुद्ध डीपीसी ना हो. इसको चुनाव तक रोकने के लिए कहा पर मंत्री ने कहा कि मैं चुनाव में व्यस्त हूं और यह डीपीसी मैं नहीं बल्कि प्रमुख सचिव एम देवराज कर रहे हैं. उनको ना में डीपीसी करने के लिए कहूंगा और ना मैं रोकूंगा.

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पूर्व ओएसडी ने कहा कि लेकिन 22 मई 2024 को मैंने मंत्री को पत्र लिखा है और उसकी कॉपी AICTE अध्यक्ष नई दिल्ली , प्रमुख सचिव राज्यपाल, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव कार्मिक , प्रमुख सचिव गृह, प्रमुख सचिव न्याय , प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा को लिखा की डीपीसी नियम विरुद्ध है. मैंने लिखा कि ये AICTE के नियम के विरुद्ध है और इसको रोका जाए, लेकिन हमारी बात नहीं मानी गई. जब कहीं सुनवाई नहीं हुई फिर मैंने मंत्री से कहा कि अब मैं आपके यहां काम नहीं कर सकता.

उन्होंने कहा कि चुनाव खत्म होते ही 30 मई को मैं लखनऊ आया और तब तक यह डीपीसी हो गई थी. मैंने लगातार भारत सरकार को चिट्ठियां लिखी, उत्तर प्रदेश सरकार को चिट्ठियां लिखी. दो बार मुख्यमंत्री के जनता दरबार में गया और 5 जून को नोटिस दिया कि यह AICTE एक्ट है और जो डीपीसी लोक सेवा आयोग से हो रही है. यह नियम विरुद्ध हो रही है. इसके कारण पूरे प्रदेश में जो पढ़े-लिखे लोग हैं यह परेशान होंगे. कहीं सुनवाई नहीं हुई और 9 नवंबर को रिजल्ट आया जिसमें डीपीसी हो गई.