Ayodhya Ram Mandir Darshan: अंतर राष्ट्रीय हिंदू परिषद के प्रमुख प्रवीण तोगड़िया ने बुधवार को अयोध्या स्थित राम मंदिर में रामलला के दर्शन किए. रामलला के दर्शन के बाद उन्होंने पहली प्रतिक्रिया दी. तोगड़िया ने कहा कि बहुत खुशी है क्योंकि मुझे अयोध्या में इतने सुंदर राम मंदिर के दर्शन करने का मौका मिला. अंतर राष्ट्रीय हिंदू परिषद के प्रमुख प्रवीण तोगड़िया ने कहा कि मुझे यह अवसर देने के लिए मैं भगवान को धन्यवाद देना चाहता हूं.


उन्होंने 7 अक्टूबर 1984 सरयू मैया के तट पर हाथ में जल लेकर हमने संकल्प लिया था. इस तरह 40 साल पहले संघर्ष की शुरुआत हुई थी. संघर्ष तो 500 सालों से चल रहा था. 40 वर्षों के बाद संकल्प पूर्ण हुआ तो आज फिर से सरयू मैया और अयोध्या नगरी को धन्यवाद



रामलला के दर्शन के लिए महाराष्ट्र से पश्चिम बंगाल तक के श्रद्धालु अयोध्या में उमड़ रहे
दीगर है कि अयोध्या में कई राज्यों के निवासी रामलला के दर्शन करने आ रहे हैं.  महाराष्ट्र से आया दोस्तों का समूह, कोलकाता के तीन सहयोगी और अपने तीन महीने के लंगूर ‘बजरंगबली’ के साथ ओडिशा से आये संत दंपति उन लोगों में शामिल हैं जो पहली बार अयोध्या आये हैं.


इन सभी का एक ही लक्ष्य था- ‘जनता के लिए राम मंदिर को खोले जाने के बाद पहले ही दिन रामलला के ‘दर्शन’ करना.’


प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद भव्य मंदिर के कपाट मंगलवार सुबह आम लोगों के लिए खोल दिये गये. राम मंदिर और जय श्री राम लिखी विशेष कमीज पहने पलाश थांगे और उनके दोस्त मयूर भोर महाराष्ट्र के एक अन्य दोस्त के साथ सुबह हनुमानगढ़ी मंदिर पहुंचे.


थांगे ने बताया, ‘हम अहमदनगर से आये हैं और अयोध्या की यह हमारी पहली यात्रा है. राम मंदिर को देखना मेरा सपना था और हम ‘दर्शन’ करना चाहते हैं, लेकिन भीड़ बहुत अधिक है.’


'अयोध्या आना हमारे के लिए एक आशीर्वाद'
भोर ने कहा, ‘‘हमारे शहर में भगवान हनुमान का बेहद पुराना एक मंदिर है. अयोध्या आना हमारे के लिए एक आशीर्वाद है.’ छत्तीसगढ़ के सुरेश कुमार और उनके दोस्त भी यहां पहली बार आये हैं. उन्होंने कहा कि वे दर्शन करने के लिए काफी उत्सुक हैं.


मुख्य प्रवेश द्वार पर कतार में खड़े सुरेश ने कहा, ‘हम दुर्ग से आए हैं. हम पहले कानपुर तक ट्रेन से आये और फिर वहां से लखनऊ बस से पहुंचे. लखनऊ से दूसरी बस से सुबह 10 बजकर 30 मिनट पर अयोध्या पहुंचे.’


ओडिशा के 70 वर्षीय चतुर सागर अपनी पत्नी हीरावती सागर और एक खास लंगूर के साथ यहां पहुंचे हैं.


हीरावती ने कहा, ‘लंगूर की उम्र सिर्फ तीन महीना है और इसका नाम ‘बजरंगबली’ है. हम मथुरा में दर्शन करने के बाद अयोध्या आए हैं. अगर हम यहां मर भी जाएं, तो भी हमें कोई अफसोस नहीं होगा.’


संत चतुर ने कहा, ‘अयोध्या प्रभु श्रीराम की नगरी है... हम उनका आशीर्वाद लेने आए हैं.’ अयोध्या की सड़कों पर ‘मेला जैसा’ नजारा हैं, क्योंकि यहां जगह-जगह भंडारे आयोजित किये जा रहे हैं.


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