Aligarh News Today: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक बुजुर्ग को वृद्धा पेंशन के सत्यापन के दौरान सरकारी कर्मचारियों ने मृत दर्शा दिया. सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से पीड़ित बुजुर्ग की वृद्धा पेंशन बंद हो गई है. इस घटना ने एक बार फिर कर्मचारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
दरअसल, अलीगढ़ के कोतवाली अतरौली क्षेत्र के गांव कासिमपुर गदाईपुर के रहने वाले भगवंत सिंह नाम के बुजुर्ग के वृ्द्धा पेंशन के सत्यापन के दौरान कर्मियों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. इसके बाद पिछले कई माह से उनकी वृद्धा पेंशन अचानक बंद हो गई. इसके बाद उन्होंने ऑनलाइन इसकी वजह जाननी चाही.
सत्यापन करने में लापरवाहीजब भगवंत सिंह को इसकी वजह पता चली तो उनके पैरों तले से जमीन खिसक गई. प्रिंट मिलने पर पता चला कि पेंशन सत्यापन के दौरान लिख दिया गया कि भगवंत सिंह की मृत्यु हो चुकी है. यहां सत्यापन करने वाले कर्मी की एक गलती ने जिंदा भगवंत सिंह को दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया. जिसके चलते उनकी वृद्धावस्था पेंशन बंद हो गई.
इसके बाद वह पिछले आठ महीनों से तहसील दिवस, ब्लॉक और विकास भवन के चक्कर काट रहे हैं और अधिकारियों को बता रहे हैं कि वह जिंदा हैं. इसलिए उनकी पेंशन शुरू करा दी जाए, लेकिन अधिकारियों के कार्यालय के लगातार चक्कर काटने के बावजूद कोई सुनने और मानने को तैयार नहीं है कि वे जिंदा हैं.
पेंशन बंद होने पर मिली जानकारीपीड़ित भगवत सिंह मेहनत मजदूरी कर और सरकार से मिलने वाली पेंशन से अपना गुजर बसर करते हैं. भगवत सिंह ने बताया कि मई महीने में वृद्धावस्था पेंशन अचानक बंद होने के बाद जब उन्होंने ऑनलाइन इसका कारण जानना चाहा, तो प्रिंट मिलने पर उन्हें पता चला कि 22 जून 2024 को पेंशन सत्यापन करने वाले कर्मी ने भगवंत सिंह के आगे मृत लिख दिया. इसके बाद पीड़ित बुजुर्ग की पेंशन बंद हो गई.
वृद्धा पेंशन बंद होने के बाद पीड़ित बुजुर्ग ने प्रधान और सचिव से संपर्क किया, तो उन्हें इसको लेकर अनभिज्ञता जताई. इतना ही नहीं उन्हें सलाह दी गई कि जीवित प्रमाण पत्र बनवाकर विकास भवन में जमा करा दें, ऐसा करने से उनकी पेंशन दोबारा शुरू हो जाएगी. पीड़ित ने न्याय के लिए अधिकारियों के चक्कर लगाए, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिला.
अधिकारियों के लगा रहे चक्करपीड़ित बुजुर्ग भगवंत सिंह ने ब्लॉक में पहुंच कर अधिकारियों के सामने अपने आप को जिंदा बताया. काफी मिन्नतों के बाद ब्लॉक कर्मियों ने उन्हें अलीगढ़ विकास भवन जाने की नसीहत दी. उन्होंने कर्मियों के निर्देशनुसार सभी शर्तों को पूरा किया, लेकिन पेंशन जारी नहीं हुई. रिकार्ड में अभी मृत लिखा आ रहा है.
भगवंत सिंह ने बताया कि ब्लॉक, विकास भवन, तहसील दिवस में प्रार्थना पत्र देने के बावजूद आठ महीने से प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं. लेकिन सरकारी सिस्टम की नजर में वह खुद को जिंदा साबित नहीं कर पा रहे हैं.
बीडीओ ने क्या कहा?पूरे घटनाक्रम को लेकर बीडीओ वेदप्रकाश ने बताया कि इस तरह का मामला उनके संज्ञान में नहीं है. पूरे मामले की जांच पड़ताल कर आगे जानकारी दी जाएगी.
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