यूपी के अलीगढ़ में मस्जिद के इमाम तारिक मुस्तकीम पर दबंगों द्वारा कथित तौर पर धार्मिक नारे 'राम राम' और 'जय श्री राम' न बोलने पर बेरहमी से पिटाई करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. बिहार के भागलपुर जिले के निवासी तारिक मुस्तकीम ने आरोप लगाया कि थाना लोधा क्षेत्र के बुलाकगढ़ी गांव में सड़क पर रास्ता रोककर आधा दर्जन दबंगों ने उनकी साइकिल रोकी और जबरन नारे लगवाने की कोशिश की.

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इनकार करने पर डंडों, ईंटों और लात-घूसों से डेढ़ घंटे तक मारपीट की गई, दाढ़ी नोची गई और 'मुसलमान कटवा है, गाय खाता है, जिंदा दफना देंगे' कहते हुए जान से मारने की धमकी दी गई.

पीड़ित को गंभीर चोटें आईं, दांत टूटे और खून से लथपथ हो गया. पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है, पुलिस ने धार्मिक नारे लगवाने या सांप्रदायिक जैसी स्थिति से इंकार  किया है.

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क्या है पूरा मामला ?

जानकारी के मुताबिक घटना 18 सितंबर को दोपहर करीब 3:30 बजे हुई, जब तारिक जिरोली गांव में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने जा रहे थे. उनका दावा है कि पिछले एक महीने से दबंग उन्हें परेशान कर रहे थे, और चार दिनों से नारे लगवाने का दबाव बढ़ गया था. हमलावरों ने उनकी टोपी उतारी, दाढ़ी खींची और जमीन पर पटक दिया. आसपास के लोग भी शामिल हो गए, जिससे पिटाई और बर्बर हो गई. इसके बाद हमलावर फरार हो गए.

स्थानीय लोगों ने पुलिस को सूचना दी, जो मौके पर पहुंची और तारिक को मलखान सिंह जिला अस्पताल में भर्ती कराया.

मुस्लिम समुदाय में आक्रोश

मुस्लिम समुदाय में इस घटना से आक्रोश फैल गया. समुदाय के सदस्यों ने आरोपियों के खिलाफ तत्काल मुकदमा दर्ज करने और गिरफ्तारी की मांग की. बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ता सलमान शाहिद ने कहा कि टोपी और दाढ़ी देखकर हमला किया गया, यह मुस्लिमों पर बढ़ते अत्याचार का प्रतीक है. पुलिस सख्त कार्रवाई करे, वरना हम बर्दाश्त नहीं करेंगे. पीड़ित के साथियों ने बताया कि तारिक लखनपुर गांव में लंबे समय से इमाम हैं और शांतिपूर्ण जीवन जी रहे थे.

पुलिस ने किया खंडन

इस मामले में अलीगढ़ पुलिस ने पीड़ित के दावों का खंडन किया है. एसपी मृगांक शेखर पाठक ने सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो का हवाला देते हुए कहा कि यह मामला साधारण मारपीट का है. तारिक साइकिल से जा रहे थे, तभी रास्ते में कुछ बच्चे आ गए. उन्हें हटाने के दौरान पास खड़े जीशान से विवाद हो गया. दोनों पक्षों में झड़प हुई, चोटें आईं.

दोनों को अस्पताल भेजा गया, मेडिकल कराया गया. प्रारंभिक जांच में धार्मिक नारे या मजबूर करने का कोई सबूत नहीं मिला. यह अफवाह है, पुलिस इसका खंडन करती है. दोनों पक्षों से तहरीर मिल चुकी है, विधिक कार्रवाई जारी है.