उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के टप्पल क्षेत्र में आई बाढ़ ने ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. बीते चौबीस घंटों में लगातार हो रही बारिश और ऊपरी इलाकों से छोड़े गए पानी के चलते टप्पल और उसके आसपास के गांवों में हालात बेहद खराब हो गए हैं. महाराजगढ़ समेत दर्जन भर गांवों में पानी भर जाने से जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है.

आलम यह है कि लोग गांव छोड़ने को मजबूर है, गांव की गलियां, खेत और घर तालाब जैसे दिखने लगे हैं. हालात बिगड़ने पर जिला प्रशासन ने रेड अलर्ट जारी कर दिया है. साथ ही राहत-बचाव कार्य के लिए NDRF की टीम तैनात कर दी गई है. जो लगातार बचाव कार्य मे जुटी हुई है.

सुरक्षित स्थानों की ओर पलायान कर रहे लोग

वहीं बाढ़ से प्रभावित गांवों में हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि ग्रामीण अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करने लगे हैं. वहीं जिनके पास कहीं जाने की जगह नहीं है, वे स्कूलों और पंचायत भवनों में शरण ले रहे हैं. मवेशियों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाना ग्रामीणों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है. पशुओं के लिए चारा और पीने के पानी की किल्लत धीरे-धीरे सामने आने लगी है.

महाराजगढ़ समेत दर्जनभर गांव डूबे

महाराजगढ़, नगला, बरौली, खेड़ा, नंगला कलां, बड़ेसर, रामगढ़ और आसपास के गांवों में पानी भर गया है. खेतों में खड़ी फसलें पूरी तरह जलमग्न हो चुकी हैं. धान, बाजरा और मूंगफली की फसलें बर्बाद होने की कगार पर हैं. किसानों का कहना है कि अगर पानी जल्द नहीं निकला, तो उनकी मेहनत पूरी तरह से चौपट हो जाएगी. बाढ़ का असर न केवल ग्रामीणों की आजीविका पर पड़ा है, बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी भी ठप हो गई है.

NDRF टीम कर रही रेस्क्यू

हालात बिगड़ने पर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीम मौके पर पहुंची. टीम नाव के जरिए लोगों को सुरक्षित निकालने का काम कर रही है. बच्चों और बुजुर्गों को प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जा रहा है. महिलाओं को भी सुरक्षित स्थानों पर ले जाकर राहत शिविरों में पहुंचाया जा रहा है. राहत शिविरों में खाने-पीने का इंतजाम प्रशासन की ओर से किया गया है. टीम लगातार प्रभावित गांवों में चक्कर लगा रही है ताकि कोई भी परिवार पीछे न छूटे.

जिला प्रशासन अलर्ट मोड पर

बाढ़ की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने रेड अलर्ट जारी किया है. प्रशासन का कहना है कि प्रभावित गांवों के लोगों को हर संभव मदद दी जाएगी. जिला अधिकारी ने बताया कि राहत सामग्री, भोजन, दवाइयां और पीने का पानी लगातार प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचाया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग की टीमें भी गांव-गांव जाकर लोगों का हालचाल ले रही हैं ताकि महामारी जैसी स्थिति न पैदा हो.

ग्रामीणों ने बयां किया दर्द

महाराजगढ़ की कमला देवी ने रोते हुए कहा, “हमारे घर में तीन फीट पानी भरा है, खाना बनाने तक की जगह नहीं बची. बच्चों को गोदी में उठाकर पड़ोस के ऊंचे मकान पर जाना पड़ा.” वहीं किसान रामनिवास ने बताया कि उन्होंने पांच बीघा  में फसल बोई थी, लेकिन बाढ़ का पानी आने से फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई.

सड़कें और संचार व्यवस्था ठप

बाढ़ का असर केवल घरों और खेतों तक ही सीमित नहीं है. टप्पल को जोड़ने वाली कई सड़कें पानी में डूब गई हैं. सड़कों पर तीन से चार फीट पानी भरे होने के कारण आवागमन ठप हो गया है. वाहनों का संचालन बंद हो गया है और लोग नाव या ऊंचे ट्रैक्टर से सफर करने को मजबूर हैं. मोबाइल नेटवर्क और बिजली आपूर्ति भी कई जगहों पर बाधित हो गई है. इससे राहत कार्यों में दिक्कतें आ रही हैं.

प्रशासन का दावा, 'सुरक्षित हैं लोग'

जिला प्रशासन का दावा है कि हर प्रभावित गांव पर नजर रखी जा रही है. आपदा नियंत्रण कक्ष चौबीसों घंटे सक्रिय है. जिलाधिकारी ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और प्रशासनिक टीमों के संपर्क में बने रहें. उन्होंने कहा कि किसी भी आपात स्थिति में हेल्पलाइन नंबर पर सूचना दें, तत्काल मदद पहुंचाई जाएगी.

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