समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ सरकार के हालिया फैसले पर सख्त टिप्पणी की है, जिसमें नाम में जाति का उल्लेख, नेम प्लेट, FIR और अन्य दस्तावेजों में जाति न लिखने का आदेश दिया गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर लिए गए इस निर्णय को लागू करने के लिए सरकार ने मुख्य सचिव दीपक कुमार के माध्यम से आदेश जारी किए हैं.

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अखिलेश ने इस कदम को दिखावा करार देते हुए कई सवाल उठाए हैं. उन्होंने सोमवार को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर एक पोस्ट में लिखा कि क्या यह फैसला 5000 साल पुरानी जातिगत मानसिकता को खत्म कर पाएगा?

अखिलेश यादव का ट्वीट

अखिलेश यादव ने अपने पोस्ट में पांच प्रमुख सवाल उठाए, जो योगी सरकार की नीति पर सवालिया निशान लगाते हैं. उन्होंने पूछा- और 5000 सालों से मन में बसे जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिए क्या किया जाएगा? वस्त्र, वेशभूषा और प्रतीक चिन्हों से जाति-प्रदर्शन को मिटाने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे? किसी से मिलने पर नाम से पहले जाति पूछने की मानसिकता को खत्म करने के लिए क्या उपाय होंगे? किसी का घर धुलवाने जैसे जातिगत भेदभाव को समाप्त करने और झूठे आरोप लगाकर बदनाम करने की साजिशों को रोकने के लिए क्या योजना है?

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ये सवाल समाजवादी पार्टी के नेता ने योगी सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए पूछे हैं, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं.

हाईकोर्ट के आदेश के बाद उठाया है कदम

बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद जातिगत भेदभाव को खत्म करने के लिए बड़ा कदम उठाया है. इस फैसले के तहत FIR, गिरफ्तारी मेमो, पुलिस रिकॉर्ड्स और सार्वजनिक स्थानों से जाति का उल्लेख हटाया जाएगा. पहचान के लिए माता-पिता के नाम का उपयोग होगा, जबकि थानों के नोटिस बोर्ड, वाहनों और साइनबोर्ड्स से जातीय संकेत हटाने के निर्देश दिए गए हैं. इसके साथ ही जाति आधारित रैलियों पर प्रतिबंध और सोशल मीडिया पर सख्त निगरानी की बात कही गई है. हालांकि SC/ST एक्ट जैसे मामलों में छूट रहेगी, और SOP व पुलिस नियमावली में संशोधन होगा.

अखिलेश यादव ने उठाया सवाल

अखिलेश यादव का यह पोस्ट सरकार के इस कदम को नाकाफी बताता है. सपा नेता का कहना है कि सतही बदलाव से समाज में गहरी जड़ें जमा चुकी जातिगत सोच नहीं बदलेगी.