Agra News: यह हौसलों की कहानी है, संघर्षों की कहानी है. कहानी बेटी और पिता की है जहां बेटी अपने बाप को माफ कर देती है, लेकिन अभागा बाप 30 साल बाद भी अपने आप को माफ नहीं कर पा रहा. जी हां, आगरा (Agra) के सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज के बाहर पराठे का ठेला लगाने वाली एसिड अटैक सर्वाइवर नीतू के अतीत को जानना बेहद जरूरी है. गर्म तवे पर आलू का पराठा तल रही नीतू जब करीब 3 साल की थी, तब उनके पिता विशंभर ने शराब के नशे में उस पर तेजाब डाल दिया था. 

इस घटना को नीतू के पिता ने फतेहपुर सीकरी अपनी ससुराल पहुंचकर अंजाम दिया था जिसमें उसकी मां और छोटी बहन का चेहरा भी पूरी तरह झुलस गया था. घटना को याद करते नीतू भावुक हो जाती हैं लेकिन संघर्षों ने उसे आज वक्त से लड़ने की ताकत दी है. 

नीतू ने शुरू किया अपना स्टार्ट अपनीतू कहती हैं कि इस घटना के बाद पूरा परिवार बिखर गया था लेकिन पहले शीरोज हैंगआउट कैफे और फिर अब रोजगार भारती संस्था के सहयोग से नीतू ने एक ठेला एसएनएमसी के बाहर लगाना शुरू किया है जिसमें अब उसके पिता विशंभर भी सहयोग करते हैं.अपना स्टार्टअप शुरू कर नीतू आज खुश है. तमाम तरह के पराठे बनाकर लोगों को खिलाकर उसमें संतुष्टि का भाव है.चूंकि नीतू ने अपनी जो रसोई लगाई है उसे गीता रसोई नाम दिया है, लेकिन उसे लगता है समय के साथ उनकी रसोई चल निकलेगी.

वहीं सोरों कटरा का रहने वाला विशंभर अपनी बेटी के साथ किए गए अपराध से आज भी अपने आप को माफ नहीं कर पाता है. आंखों में आंसू लिए विशंभर कहता है बेटे की चाहत में लोगों ने उकसा दिया और शराब के नशे में मैंने घोर पाप कर दिया. कुल मिलाकर नीतू संघर्षों से निकलकर अपने पैरों पर खड़ी है. नीतू ने अपने पिता को माफ कर दिया है लेकिन पिता आज भी अपराधबोध से ग्रसित है.

यह भी पढ़ें:-

UP News: यूपी के कार्यवाहक DGP की नियुक्ति पर अखिलेश यादव का तंज, कहा- 'अपराधियों की तरफ से लड्डू बंटेंगे'