Agra News: ताजनगरी आगरा के रहने वाले यश कुमार ने दुनिया में देश के हुनर का परचम फहराया है. 26 साल यश कुमार पैरालंपिक गेम्स में केनो प्रतियोगिता के सेमीफाइनल तक पहुंच गए. यश का यह पहला पैरालंपिक था. उनके सामने दुनिया के दिग्गज खिलाड़ी जिन्हे पैरालंपिक का खासा अनुभव हासिल था. लेकिन उनके हौसले भी बुलंद थे और यही वजह थी कि देश का प्रतिनिधित्व कर रहे यश सेमीफाइनल तक पहुंचे. 

आगरा के दयालबाग के रहने वाले यश कुमार शारीरिक रूप से अस्वस्थ हैं लेकिन, उनके हौसले चट्टान जैसे हैं यश की कमर से नीचे का हिस्सा काम नहीं करता है. वो व्हीलचेयर पर बैठकर सारे काम करते है. जब वो एक साल के थे तभी से उन्हें इस तरह की परेशानी हो गई थी. जिसके बाद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी. जीवन में आने वाली तमाम कठिनाइयों का उन्होंने पूरी हिम्मत के साथ सामना किया. 

पैरालंपिक में सेमिफ़ाइनल तक पहुंचेयश कुमार देश के पहले पुरूष खिलाड़ी है जो केनो गेम्स में शामिल हुए हैं. यश कुमार ने अपनी ट्रेनिंग भोपाल से की. जहां कोच द्वारा उनको ऐसा तैयार किया गया कि अपने पहले ही पैरालंपिक गेम्स में प्रतिभा का लोहा मनवा दिया और सेमीफाइनल तक पहुंच गए. यश को इस बात का भी दुख है कि देश के लिए गोल्ड नही जीत आए, लेकिन उनके इरादे पक्के हैं. 

देश के लिए गोल्ड जीतना लक्ष्ययश ने कहा कि भले ही वो 2024 के पैरालंपिक में गोल्ड नहीं जीत पाए हो पर अब उनकी निगाहें 2028 में होने वाले पैरालंपिक गेम्स पर है. देश के लिए गोल्ड जीतने की चाह लिए वो अभी से तैयारी में जुट गए हैं. उनके जीवन में परिवार का भी बहुत योगदान रहा है, जो हर कठिनाई में उनके साथ चट्टान की तरह खड़े रहे. यश जब पैरालंपिक से वापस देश लौटकर आए तो तमाम बड़ी हस्तियों ने उनका सम्मान किया. रिलायंस इंडस्ट्री के मालिक मुकेश अंबानी भी उनसे मिले. 

पैरालंपिक गेम्स में भारत का झंडा लहराने वाले खिलाड़ी जब स्वदेश वापस आए तो देश ने बाँहें फैलाकर उनका सम्मान किया. यूपी सरकार ने भी इन खिलाड़ियों का सम्मान किया. सीएम योगी आदित्यनाथ ने उन्हें 10 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि दी और उनसे मुलाक़ात भी की. यश ने कहा कि ये उनका पहला पैरालंपिक था. अब उनकी नजर 2028 के गेम्स पर है, वो देश के लिए गोल्ड जीतना चाहते हैं. 

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