आगरा में विश्व प्रसिद्ध ताजमहल एक बार फिर से उस वक्त विवादों में आ गया जब अघोरी साध्वी चंचल नाथ ताजमहल देखने पहुंची लेकिन, उन्हें बाहर गेट पर ही प्रवेश करने से रोक दिया गया. उनके हाथ में डमरू और त्रिशूल भी था, जिसे वो अपने साथ ले जाना चाहती थी लेकिन सुरक्षा जवानों ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया. 

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साध्वी चंचल नाथ के ताजमहल जाने की कई तस्वीरें भी सामने आई हैं. जिसमें उन्होंने ताज के एंट्री गेट पर चेकिंग कराते हुए देखा जा सकता हैं उनके हाथ में एक खाने के लिए एक बर्तन और एक डमरू था जिसे वो अंदर ले जाना चाहती थी. लेकिन सीआईएसएफ के जवानों ने इसे अंदर ले जाने की इजाजत नहीं दी और उन्हें गेट पर ही रोक दिया. 

सुरक्षा कारणों से अंदर जाने से रोका

ताज की सुरक्षा में तैनात सीआईएसएफ जवानों ने साध्वी को सुरक्षा नियमों का हवाला देते हुए उन्हें डमरू लॉकर में रखने को कहा लेकिन साध्वी ने ऐसा करने से मना कर दिया और जिसके बाद वो वापस लौट गईं और फिर वापस नहीं आईं. इसके बाद साध्वी बिना ताजमहल देखे ही वापस लौट गईं. साध्वी के हाथ में जो बर्तन था वो उसी में खाना खाती हैं. 

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साध्वी चंचल नाथ दोपहर 2:30 बजे ताजमहल के पूर्वी गेट पहुंची थीं. बताया जा रहा कि हाथ में डमरू होने की वजह से उन्हें प्रवेश नहीं दिया और गेट पर ही रोक दिया गया. 

अनोखे अंदाज के लिए प्रसिद्ध हैं साध्वी चंचल

बता दें कि साध्वी चंचल नाथ अपनी अनोखे आचरण और उल्टा चलने की शैली के लिए जानी जाती है. उनकी जटाएं भी काफी लंबी हैं जिसकी वजह से भी वो काफी सुर्खियों में रहती हैं. 

कहते हैं कि अपने कुलगुरू के कहने पर उनके माता-पिता ने महज़ सात साल की उम्र में ही उन्हें गुरू को सौंप दिया था. जिसके बाद वो बंगाल में काफी समय तर अपने गुरू के सानिध्य में रहीं और साधना सीखी. वो अपनी चमत्कारी शक्तियों के लिए भी जानी जाती है जो बिना किसी साधन के हवन कुंड में आग लगा देती हैं. लोग उन्हें 'चंचल माता' भी कहते हैं.   

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