कोरोना वायरस की पहली लहर के बाद बीते साल बिहार में विधानसभा चुनाव संपन्न करा चुके चुनाव आयोग ने इस साल भी पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव करा लिए हैं. लेकिन वोटिंग के दौरान ही कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दे दी थी. आलम यह था कि देश में हर दिन कोरोना के नए मामले रिकॉर्ड बना रहे थे. लेकिन कोरोना नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और असम में नेताओं की रैलियां और रोड शो होते रहे.
वहीं दूसरी तरफ आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं. सभी राजनीतिक दलों ने उसके लिए कमर कस ली है. लेकिन चुनावी साल से ठीक पहले यूपी में पंचायत चुनाव संपन्न हुए. इसे विधानसभा चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा था. इसके नतीजों को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने जी के अलग-अलग दावे किए. लेकिन सबसे बड़ी बात यह रही कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ये चुनाव संपन्न कराए गए.
कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने यूपी में जमकर कोहराम मचाया. शहरों के अलावा इस बार गांवों में भी हालात काफी बदतर हो गए. माना जा रहा है कि पंचायत चुनावों की वजह से ही यूपी के गांवों में कोरोना का तेजी से प्रसार हुआ.
हालांकि राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और पंचायत चुनावों को टालने की मांग लगातार उठती रही लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ. जनता की इसे लेकर क्या राय ये जानने के लिए एबीपी न्यूज़ ने सी-वोटर के साथ मिलकर सर्वे किया है.
कोविड-2 में राज्य-पंचायत चुनाव टालने थे?
शहरी ग्रामीण
हां- 62% 60%
नहीं- 27% 28%
कह नहीं सकते- 11% 12%
सर्वे के आंकड़ों से यह साफ है कि बड़ी तादाद में जनता चुनाव टालने की पक्षधर है. इसके मायने यह है कि विधानसभा चुनाव और पंचायत चुनाव सरकार को भारी पड़े. अब आने वाले विधानसभा चुनाव में इसका कितना असर होगा यह तो वक्त ही बताएगा. लेकिन कोरोना से बिगड़े हालातों ने सरकार के लिए मुश्किल जरूर खड़ी कर दी है.
(नोट- मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल को दो साल पूरे हो रहे हैं. इस मौके पर एबीपी न्यूज के लिए सी वोटर ने देश की जनता का मूड जाना है. देश में इस वक्त सबसे बड़ा मुद्दा कोरोना है. मोदी राज में कोरोना को लेकर देश क्या सोच रहा है इसमें इसी पर बात हुई. ये स्नैप पोल 23 से 27 मई के बीच किया गया है. सर्वे में 12 हजार 70 लोगों से बात की गई है. सर्वे में मार्जिन ऑफ एरर प्लस माइनस 3 से प्लस माइनस 5 फीसदी तक है.)